कलकत्ता हाईकोर्ट ने आंध्र दंपति की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदला

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक वर्षीय बच्चे की हत्या के मामले में आंध्र प्रदेश के एक दंपति को दी गई फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया है। अदालत ने आदेश दिया कि दोनों अभियुक्तों को कम से कम 40 वर्ष तक बिना किसी रियायत (remission) के जेल में रहना होगा।

आरोपी शेख हसीना सुल्ताना और शेख वन्नूर शा ने दलील दी थी कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा कोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। परंतु न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने इस आपत्ति को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा:
“हावड़ा स्टेशन पर बच्चे का शव मिलने के कारण, मामला दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत हावड़ा अदालत में विचारणीय है।”

अभियोग के अनुसार, दंपति ने जनवरी 2016 में सिकंदराबाद में बच्चे की हत्या की और शव को एक बैग में डालकर हावड़ा जाने वाली फलकनुमा एक्सप्रेस ट्रेन में छोड़ दिया। 24 जनवरी 2016 को हावड़ा स्टेशन पर बैग से बच्चे का शव बरामद हुआ, जिस पर चोट के निशान पाए गए।

Video thumbnail

फरवरी 2024 में हावड़ा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोनों को हत्या (धारा 302), सबूत मिटाने (धारा 201) और समान आशय (धारा 34) के अपराध में दोषी ठहराकर फांसी की सज़ा सुनाई थी।

READ ALSO  ईडी डी के शिवकुमार के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने के लिए बाध्य है: दिल्ली हाई कोर्ट

हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन यह माना कि दोनों अभियुक्त अपेक्षाकृत युवा हैं—वन्नूर शा की उम्र लगभग 37 वर्ष और हसीना सुल्ताना की उम्र 34 वर्ष है—और उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि मृत्युदंड केवल उन्हीं मामलों में दिया जाना चाहिए जो “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” (rarest of rare) श्रेणी में आते हों और जहां अपराधी के सुधार की संभावना पूरी तरह से समाप्त हो।

“तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हम मृत्युदंड को उम्रकैद में बदलने के लिए बाध्य हैं,” अदालत ने कहा। आदेश के अनुसार, यह उम्रकैद 40 वर्ष तक बिना रियायत के लागू होगी।

READ ALSO  हाई कोर्ट ने जामा मस्जिद के बगल के 2 पार्कों का कब्ज़ा न लेने पर MCD से सवाल किया

अभियोजन पक्ष ने बताया कि हसीना का बच्चा विवाहेतर संबंध से था। बाद में वह वन्नूर शा के साथ हैदराबाद में रहने लगी। बच्चे के रोने-चिल्लाने से मकान मालिक अक्सर नाराज़ होता था, जिसके कारण दंपति बच्चे को पीटते थे।

एक दिन बुखार से पीड़ित बच्चे को पीटा गया और दवा दी गई, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद वन्नूर शा ने शव को बैग में भरकर फलकनुमा एक्सप्रेस की सामान्य बोगी में छोड़ दिया।

READ ALSO  बीएमसी ने लग्जरी होटल के लिए शिवसेना (यूबीटी) के विधायक की अनुमति रद्द करने के अपने आदेश पर कार्रवाई नहीं करने को कहा

कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यद्यपि अपराध गंभीर और जघन्य है, फिर भी यह मृत्युदंड देने योग्य “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” श्रेणी में नहीं आता। इसलिए दोनों की सज़ा को उम्रकैद में बदला गया।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles