झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए शिक्षकों की पात्रता परीक्षा (टीईटी) लंबे समय से न कराने पर सवाल उठाए हैं और शिक्षा विभाग से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वह कब तक नई परीक्षा आयोजित करेगा।
न्यायमूर्ति आनंद सेन ने नीलम कुमारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या वह भविष्य में टीईटी परीक्षा आयोजित करने का इरादा रखती है या नहीं। इसके साथ ही सचिव को यह भी बताना होगा कि नई परीक्षा किस समय सीमा में कराई जाएगी।
कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि झारखंड में वर्ष 2016 से टीईटी परीक्षा आयोजित नहीं हुई है, जिसके कारण हजारों अभ्यर्थियों को सरकारी स्कूलों में सहायक शिक्षक की नौकरी पाने का अवसर नहीं मिल रहा है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक राज्य को कम से कम साल में एक बार टीईटी परीक्षा करानी अनिवार्य है।

लंबे समय से परीक्षा न होने को अदालत ने गंभीरता से लिया और कहा कि इससे योग्य उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।
यह मामला अब 22 सितंबर को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, तब तक शिक्षा विभाग को अपना हलफनामा दाखिल करना होगा।