सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम पुलिस को वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और द वायर पोर्टल से जुड़े अन्य पत्रकारों के खिलाफ किसी भी तरह की दमनात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया। यह मामला एक समाचार लेख से संबंधित एफआईआर को लेकर दर्ज हुआ था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश सुनाया। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने पत्रकारों की ओर से दलील देते हुए कहा कि असम पुलिस सर्वोच्च न्यायालय के पहले दिए गए आदेशों को दरकिनार कर रही है। उन्होंने बताया कि वरदराजन और अन्य पत्रकारों को शुक्रवार को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है और आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
पीठ ने पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करते हुए कहा कि सभी से कानून का पालन करने की अपेक्षा है। अदालत ने निर्देश दिया कि पत्रकार जांच में सहयोग करें और अगली सुनवाई तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।

गौरतलब है कि 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने वरदराजन को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी और असम पुलिस को एफआईआर के सिलसिले में किसी भी तरह की दमनात्मक कार्रवाई से रोका था। यह मामला द वायर द्वारा प्रकाशित “ऑपरेशन सिंदूर” पर एक रिपोर्ट से संबंधित है।
अदालत इस मामले की अगली सुनवाई स्थिति रिपोर्ट दाखिल होने के बाद करेगी।