दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को ब्रिटेन में रह रहे हथियार सौदागर संजय भंडारी की उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट के भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के फैसले को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने भंडारी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। भंडारी की ओर से कहा गया कि ट्रायल कोर्ट का 5 जुलाई का आदेश रोका जाए और रद्द किया जाए, क्योंकि उन्हें एक बार भगोड़ा घोषित कर दिया गया तो वे “निरुपाय” हो जाएंगे।
ईडी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के पास पर्याप्त सबूत मौजूद थे, जिनमें एक असेसमेंट ऑर्डर भी शामिल है जिसमें यह दर्शाया गया है कि भंडारी ने 655 करोड़ रुपये की संपत्ति गुपचुप तरीके से अर्जित की। एजेंसी का कहना था कि भगोड़ा घोषित करना जरूरी है ताकि उनकी संपत्ति जब्त की जा सके।

भंडारी के वकील का कहना था कि अभियोजन जल्दबाज़ी में शुरू किया गया जबकि टैक्स असेसमेंट की कार्यवाही पूरी भी नहीं हुई थी। यदि असेसमेंट पूरा नहीं हुआ तो यह कैसे तय किया गया कि कथित कर चोरी 100 करोड़ रुपये से अधिक थी।
उन्होंने यह भी कहा कि भंडारी की ब्रिटेन में मौजूदगी अवैध नहीं मानी जा सकती क्योंकि हाल ही में ब्रिटेन की अदालत ने भारत सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया था। ऐसे में उन्हें भगोड़ा घोषित करना “कानूनी तौर पर गलत” होगा।
ट्रायल कोर्ट ने भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करते हुए कहा था कि प्रत्यर्पण प्रयास की असफलता से यह साबित नहीं होता कि आरोपी निर्दोष है या भारतीय कानूनों से मुक्त है। इस आदेश से ईडी को उनकी संपत्तियों की जब्ती की प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता मिल गया।
63 वर्षीय भंडारी वर्ष 2016 में आयकर विभाग की दिल्ली में छापेमारी के बाद लंदन भाग गए थे। ईडी ने फरवरी 2017 में उनके खिलाफ पहली आपराधिक कार्रवाई दर्ज की थी, जो आयकर विभाग की ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कानून, 2015 के तहत दाखिल चार्जशीट पर आधारित थी। ईडी ने 2020 में पहला आरोपपत्र दाखिल किया।