दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण याचिकाओं का दुरुपयोग कर पैसे उगाही करने पर याचिकाकर्ता पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया

दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ याचिकाओं का सहारा लेकर धन उगाही करने वाले एक व्यक्ति पर सख्त रुख अपनाते हुए उस पर ₹10 लाख का खर्चा (जुर्माना) लगाया है।

न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने 7 अगस्त को पारित आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता अनिल लोधी, जो आज़ाद मार्केट आरडब्ल्यूए (RWA) के महासचिव हैं, ने बार-बार दुर्भावनापूर्ण याचिकाएँ दाखिल कर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। अदालत ने टिप्पणी की कि अवैध निर्माणों के मामलों में अदालत “लोहे के हाथ से” सख्ती बरतती है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति अदालत की कार्यवाही का इस्तेमाल अवैध लाभ उठाने के लिए न कर सके।

अदालत ने पाया कि लोधी ने अधिवक्ता बाबू लाल गुप्ता के साथ मिलकर ग्रीन गोल्ड अर्थ ऑफ वर्ल्ड नामक एक तथाकथित एनजीओ के जरिये कई याचिकाएँ दायर कीं। जांच में सामने आया कि उक्त एनजीओ पंजीकृत भी नहीं है और इसका पता गुप्ता के चैंबर का है।

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न्यायमूर्ति पुष्कर्णा ने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता निजी पक्षकारों से पैसे उगाहने के लिए संपर्क कर रहा था। यह तथ्य अत्यंत चिंताजनक और चौंकाने वाले हैं, जो दर्शाते हैं कि याचिकाकर्ता ने अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर लोगों से धन उगाही की है।”

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अदालत ने निर्देश दिया कि यह आदेश भविष्य में लोधी या उससे जुड़े एनजीओ द्वारा दायर किसी भी याचिका के साथ संलग्न किया जाएगा, ताकि उसके पूर्व आचरण पर विचार किया जा सके।

अदालत ने अधिवक्ता गुप्ता के नाम को दिल्ली बार काउंसिल को भेजते हुए उनके आचरण की जांच करने और लागू नियमों के उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई करने को कहा।

लोधी द्वारा आज़ाद मार्केट आरडब्ल्यूए की ओर से दायर याचिकाओं में रोशनारा रोड और रानी झाँसी रोड, झंडेवाला स्थित दुकानों में अवैध निर्माण और बिजली-पानी के दुरुपयोग पर कार्रवाई की मांग की गई थी। अदालत को बताया गया कि एमसीडी ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। अदालत ने निगम को शेष अवैधताओं पर भी समयबद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

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हाईकोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि कथित अवैध निर्माण याचिकाकर्ता के पड़ोस के क्षेत्र में नहीं थे, जिससे स्पष्ट होता है कि मामला जनहित के बजाय स्वार्थ से प्रेरित था। अदालत ने कहा कि लोधी ने पहले भी कई समान याचिकाएँ दाखिल की थीं और वह “गंदे हाथों” के साथ अदालत आया है।

अदालत ने टिप्पणी की कि न्यायिक कार्यवाही एक “गंभीर प्रक्रिया” है, जिसका उद्देश्य न्याय को आगे बढ़ाना है, न कि व्यक्तिगत लाभ या गैरकानूनी उद्देश्यों की पूर्ति करना। लोधी को छह सप्ताह के भीतर ₹10 लाख जमा करने का निर्देश दिया गया।

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