सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में पुनर्गठित कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में “कई पहलू हैं जो निर्णय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ हफ्ते बाद तय की है।
यह याचिका शिक्षाविद ज़हूर अहमद भट और समाज-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप पहलगाम में जो हुआ उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। यह संसद और कार्यपालिका के निर्णय का विषय है।”

सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2023 के अपने फैसले में केंद्र के अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय को सर्वसम्मति से सही ठहराया था। साथ ही निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सितंबर 2024 तक कराए जाएं और राज्य का दर्जा “यथाशीघ्र” बहाल किया जाए।
वर्तमान याचिका पिछले साल दायर उस याचिका का विस्तार है जिसमें केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अब सर्वोच्च अदालत ने केंद्र का पक्ष मांगा है, जिससे प्रदेश की शासन व्यवस्था के भविष्य को लेकर संवैधानिक और राजनीतिक बहस एक बार फिर तेज हो सकती है।