केंद्र सरकार के फाइल वापस भेजने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद, राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट के लिए नामों को दी मंजूरी

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने राजस्थान, इलाहाबाद और दिल्ली उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों के लिए कई वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के नामों को मंजूरी दी है, जिनमें कुछ ऐसे भी शामिल हैं जिन्हें पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने अस्वीकृत कर दिया था। यह जानकारी रिपोर्ट्स के अनुसार सामने आई है।

यह कदम तब उठाया गया जब केंद्र सरकार ने कुछ फाइलें कोलेजियम को वापस भेजीं और उम्मीदवारों का पुनर्मूल्यांकन करने का अनुरोध किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार का मानना था कि पहले की समीक्षा में उम्मीदवारों के पक्ष में मौजूद प्रासंगिक जानकारी को नज़रअंदाज कर दिया गया था।

नए कोलेजियम द्वारा पुनः समीक्षा
14 मई को CJI पद संभालने के बाद जस्टिस गवई की अगुवाई में यह मंजूरी दी गई। कोलेजियम ने ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ (MoP) के प्रावधानों के तहत प्रस्तावों की दोबारा जांच की, जिसमें केंद्र को कोलेजियम के निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध करने की अनुमति है।

पुनः समीक्षा में कोलेजियम ने पाया कि पहले अस्वीकृत किए गए कुछ उम्मीदवार उच्च न्यायालय में नियुक्ति के योग्य हैं। राजस्थान के मामले में, केंद्र ने चार वकीलों के नामों पर पुनर्विचार का आग्रह किया, लेकिन तीन को ही मंजूरी दी गई। दिल्ली के मामले में चार न्यायिक अधिकारियों के नाम लौटाए गए थे, जिनमें से तीन को मंजूरी दी गई। कुल मिलाकर, कोलेजियम ने अब राजस्थान के लिए चार नाम (तीन वकील और एक न्यायिक अधिकारी), इलाहाबाद के लिए तीन न्यायिक अधिकारी और दिल्ली के लिए तीन न्यायिक अधिकारियों को मंजूरी दी है।

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पहली सिफारिशों का पृष्ठभूमि
पूर्व CJI खन्ना की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने राजस्थान के लिए दिसंबर 2024 में न्यायिक अधिकारियों और मार्च 2025 में वकीलों की सिफारिश की थी। दिल्ली के लिए फरवरी 2025 में न्यायिक अधिकारियों का चयन किया गया था और इलाहाबाद के लिए अप्रैल 2025 में निर्णय लिया गया था।

MoP के अनुसार, CJI और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाला सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों पर अंतिम निर्णय लेता है। केंद्र सरकार, यदि किसी नाम पर पुनर्विचार चाहती है, तो उसे वापस भेज सकती है, लेकिन यदि कोलेजियम अपने पुराने फैसले को दोहराता है तो केंद्र को उसे स्वीकार करना होता है। हालांकि, MoP में केंद्र द्वारा मंजूर नामों की अधिसूचना के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है।

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दोबारा इंटरव्यू की प्रक्रिया
वर्तमान तीन-सदस्यीय कोलेजियम में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल हैं। गौरतलब है कि CJI गवई और जस्टिस सूर्यकांत पहले के उस कोलेजियम का हिस्सा थे जिसने इन नामों को अस्वीकृत किया था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, जब सरकार ने फाइलें वापस भेजीं, तो उसने कुछ उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज आपत्तियों को स्पष्ट करने के लिए अतिरिक्त सामग्री उपलब्ध कराई। उदाहरण के तौर पर, एक न्यायिक अधिकारी का नाम विभिन्न आपत्तियों के कारण पहले खारिज कर दिया गया था, लेकिन पुनर्विचार और नए इंटरव्यू के बाद कोलेजियम ने उसे उपयुक्त पाया।

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हालांकि कुछ सदस्यों ने इन उम्मीदवारों से पहले भी मुलाकात की थी, फिर भी सभी को दोबारा इंटरव्यू के लिए बुलाया गया ताकि प्रक्रिया को पूरी तरह नई समीक्षा माना जा सके।

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