इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि राज्य विद्युत विभाग के कर्मचारी इंटरनेट समस्या के कारण उर्जा जनशक्ति ऐप के माध्यम से बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाए हैं, तो वे संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपनी ड्यूटी करने के साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि उनकी शिकायतें सही पाई जाती हैं, तो उनकी रुकी हुई वेतन राशि जारी की जाएगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सत्यानारायण उपाध्याय और नौ अन्य कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं को 3 जुलाई को सूचित किया गया था कि यदि उन्होंने जून 2025 माह के लिए ऐप के माध्यम से बायोमेट्रिक हाजिरी दर्ज नहीं की, तो उनका वेतन रोका जाएगा।
अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ताओं की शिकायत अस्पष्ट है और अस्वीकार्य है क्योंकि उन्होंने जून 2025 माह में कभी भी संबंधित अधिकारियों से संपर्क नहीं किया कि वे इंटरनेट समस्या के कारण बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं कर पा रहे हैं।”

हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता यह दिखा सकें कि उन्होंने जून माह में कार्य किया है, तो उनका रोका गया वेतन जारी किया जाए। आदेश में कहा गया, “यदि याचिकाकर्ता यह दिखाने में सक्षम हैं कि उन्होंने जून 2025 में कार्य किया है, तो उनका वेतन, यदि रोका गया हो, जारी किया जाएगा। हालांकि, इस आदेश को इस रूप में नहीं माना जाएगा कि याचिकाकर्ताओं को ऐप के माध्यम से बायोमेट्रिक हाजिरी से छूट मिल गई है।”
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किलों ने जून माह में ऐप पर उपस्थिति दर्ज नहीं की और संभवतः फील्ड में काम करने के कारण इंटरनेट की समस्या रही हो।
वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि यह प्रणाली 23 सितंबर 2024 की अधिसूचना के माध्यम से लागू की गई थी और इस अधिसूचना को याचिका में चुनौती नहीं दी गई है। साथ ही, किसी भी याचिकाकर्ता ने इंटरनेट समस्या की जानकारी अधिकारियों को समय रहते नहीं दी।
अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ताओं की इंटरनेट समस्या वास्तविक पाई जाती है, तो वे व्यक्तिगत रूप से संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपनी ड्यूटी करने के प्रमाण प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा। प्रमाण की पुष्टि होने पर संबंधित अवधि का वेतन जारी किया जाना चाहिए।