केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के आधार पर देश के पाँच हाईकोर्टों में 16 जजों की नियुक्तियों और कार्यावधि विस्तार को अधिसूचित किया। भारत के राष्ट्रपति ने संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन नियुक्तियों को मंजूरी दी है। इनमें एक न्यायिक अधिकारी को हाईकोर्ट का जज बनाया गया है और कई अपर जजों को स्थायी जज के रूप में पुष्टि दी गई है।
स्थायी जजों की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1) के तहत की जाती है, जबकि अपर जजों की नियुक्ति और कार्यावधि विस्तार अनुच्छेद 224(1) के तहत होता है।
नियुक्तियों का विवरण:

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चार अपर जजों को स्थायी जज नियुक्त किया गया है:
- श्री न्यायमूर्ति हरिनाथ नुनेपल्ली
- श्रीमती न्यायमूर्ति किरणमयी मंडवा @ किरणमयी कनपार्थी
- श्रीमती न्यायमूर्ति सुमति जगदम
- श्री न्यायमूर्ति न्यापथी विजय
कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट के दो अपर जजों को स्थायी जज बनाया गया है:
- श्री न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन
- श्री न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा राय
इसके अतिरिक्त, सात अन्य अपर जजों की कार्यावधि 1 वर्ष के लिए 31 अगस्त 2025 से बढ़ा दी गई है। ये हैं:
- श्री न्यायमूर्ति विश्वरूप चौधरी
- श्री न्यायमूर्ति प्रसेंजित विश्वास
- श्री न्यायमूर्ति उदय कुमार
- श्री न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता
- श्री न्यायमूर्ति सुप्रतीम भट्टाचार्य
- श्री न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी
- श्री न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर राशिदी
दिल्ली हाईकोर्ट
न्यायिक अधिकारी श्री विमल कुमार यादव को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
श्री न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल, जो अब तक अपर जज के रूप में कार्यरत थे, को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया है।
कर्नाटक हाईकोर्ट
श्री न्यायमूर्ति गुरुसिद्दैया बसवराज, जो कर्नाटक हाईकोर्ट में अपर जज थे, को स्थायी जज नियुक्त किया गया है।
इन नियुक्तियों का उद्देश्य न्यायपालिका को सुदृढ़ करना और संबंधित हाईकोर्टों में कार्यकुशलता सुनिश्चित करना है।