पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच की मांग को लेकर अधिवक्ताओं का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति ने रविवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक के बाद फैसला किया है कि सोमवार को पश्चिम यूपी के सभी 22 जनपदों में अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।
मेरठ में कचहरी परिसर स्थित सभी वकील चैंबर, रजिस्ट्री कार्यालय और दुकानें बंद रहेंगी। वकील विरोध प्रदर्शन करेंगे और हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे।
मुख्यमंत्री के मेरठ और सहारनपुर दौरे पर होगा विरोध
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को मेरठ और सहारनपुर के मंडलीय समीक्षा कार्यक्रम में भाग लेने आ रहे हैं। समिति ने तय किया है कि दोनों स्थानों पर अधिवक्ता उनसे मिलने का समय मांगेंगे। यदि मुख्यमंत्री मिलने का समय नहीं देते हैं, तो अधिवक्ता उनके कार्यक्रम स्थल पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

मेरठ बार एसोसिएशन सभागार में रविवार दोपहर आयोजित प्रेस वार्ता में समिति के संयोजक और मेरठ बार एसोसिएशन के महामंत्री राजेंद्र सिंह राणा तथा समिति अध्यक्ष और बार एसोसिएशन अध्यक्ष संजय शर्मा ने यह जानकारी दी।
“40% से अधिक केस पश्चिम यूपी से, फिर भी बेंच नहीं”
राजेंद्र सिंह राणा ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में लगभग 12 लाख मामले लंबित हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत से अधिक मामले पश्चिम उत्तर प्रदेश से हैं। इसके बावजूद इस क्षेत्र को हाईकोर्ट बेंच जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रखा गया है। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश सरकारें लगातार इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं।
संजय शर्मा ने कहा, “अब वकील चुप नहीं बैठेंगे। जब तक पश्चिम यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।”
जनपदों में भी होगा प्रदर्शन
राजेंद्र सिंह राणा ने बताया कि सभी 22 जनपदों में अधिवक्ता धरना-प्रदर्शन करेंगे और अपनी मांग का ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपेंगे। मेरठ में अधिवक्ता कचहरी परिसर में एकत्र होकर प्रदर्शन करेंगे।
“इस बार बिना बेंच आंदोलन खत्म नहीं होगा”
प्रेस वार्ता में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि इस बार आंदोलन को पीछे नहीं लिया जाएगा। जब तक बेंच की स्थापना की आधिकारिक घोषणा नहीं हो जाती, आंदोलन जारी रहेगा।
प्रेस वार्ता में अमित राणा (महामंत्री, जिला बार संगठन), गजेंद्र सिंह धामा, अनिल बख्शी, एमपी शर्मा, डीडी शर्मा, कुंवर पाल शर्मा, प्रबोध शर्मा, नरेश शर्मा, नेपाल सिंह सोम, सुरेश पाल, तरुण कुमार, अनिल सहगल और जितेंद्र सिंह बना समेत कई वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे।