मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया जिसमें विमानन दुर्घटनाओं से जुड़ी मीडिया रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश और परामर्श तैयार करने व लागू करने की मांग की गई थी। याचिका में अनुरोध किया गया था कि जब तक आधिकारिक जांच पूरी न हो, तब तक किसी भी प्रकार की पूर्वधारणा या अटकलों पर आधारित खबरें प्रकाशित न की जाएं।
मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ ने अधिवक्ता एम. प्रवीण द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।
प्रवीण ने अपनी याचिका में कहा था कि विमान दुर्घटनाओं के बाद मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर अक्सर बिना पुष्टि के ऐसी खबरें प्रकाशित की जाती हैं जो पायलटों को दोषी ठहराती हैं। इससे न केवल उनके पेशेवर जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा और व्यक्तिगत गरिमा को भी ठेस पहुंचती है।

उन्होंने 12 जून 2025 को हुई एक विमान दुर्घटना का उदाहरण दिया, जिसके बाद मीडिया में पायलटों को लेकर कई अनुमानात्मक खबरें प्रकाशित हुईं, जबकि उस समय जांच अभी जारी थी।
प्रवीण ने 14 जुलाई 2025 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA), और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को एक अभ्यावेदन सौंपा था। इसमें मीडिया संस्थानों के लिए परामर्श जारी करने, पायलटों की पहचान और प्राथमिक जांच रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखने, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए कंटेंट मॉडरेशन दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई थी।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि इस प्रकार की पूर्वाग्रहपूर्ण रिपोर्टिंग “निर्दोषता की अनुमानित धारणा” (presumption of innocence) और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत प्रदत्त गरिमा और निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
हालांकि, अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार के दिशा-निर्देश तैयार करना कार्यपालिका का नीति-निर्धारण क्षेत्र है और जब तक कोई कानूनी उल्लंघन स्पष्ट न हो, तब तक न्यायालय इस विषय में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।