सीबीआई द्वारा जांचे जा रहे बहुचर्चित पोस्ट-पोल हिंसा मामले में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला, जब कलकत्ता हाईकोर्ट की जज जस्टिस सुव्रा घोष ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए एक आरोपी महिला पुलिस अधिकारी की अंतरिम जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
जस्टिस घोष ने केवल एक पंक्ति के आदेश में यह मामला अपनी अदालत से मुक्त कर दिया। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता, जो आरोपी पुलिस अधिकारी रत्ना सरकार की ओर से पेश हुए थे, ने आग्रह किया कि अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई उसी दिन पूरी की जाए। हालांकि, न्यायमूर्ति घोष ने संकेत दिया था कि यह मामला किसी अन्य दिन आगे की सुनवाई के लिए लिया जाएगा।
यह मामला 2021 में कोलकाता में हुए चुनाव के बाद भड़की हिंसा के दौरान अभिजीत सरकार की कथित हत्या से संबंधित है। इस घटना की जांच अदालत के निर्देश पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही है।

रत्ना सरकार, जो एक पुलिस अधिकारी हैं, उन्हें हाल ही में इस मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश पर तीन अन्य आरोपियों के साथ हिरासत में लिया गया था। उनकी अंतरिम जमानत याचिका जस्टिस घोष की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा उसी दिन बहस पूरी करने पर जोर दिए जाने के बाद, न्यायमूर्ति घोष ने निजी कारणों से खुद को इस मामले से अलग कर लिया।