दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख: महज दोस्ती से यौन संबंध की इजाज़त नहीं, नाबालिग की मर्जी के बिना संबंध अपराध

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल दोस्ती के आधार पर किसी लड़के को लड़की के साथ उसकी मर्जी के बिना यौन संबंध बनाने का अधिकार नहीं मिल जाता, खासकर जब लड़की नाबालिग हो। यह टिप्पणी कोर्ट ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए की, जिस पर दोस्ती के बाद एक किशोरी से बार-बार बलात्कार करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की एकल पीठ ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 354D (पीछा करना), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।

जमानत याचिका में आरोपी ने दावा किया कि पीड़िता बालिग थी और सहमति से संबंध बने। लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और पीड़िता नाबालिग है।

Video thumbnail

कोर्ट ने कहा, “यह मामला सहमति का नहीं है क्योंकि पीड़िता नाबालिग थी। एफआईआर और बयान में पीड़िता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आरोपी ने उसकी इच्छा के विरुद्ध बार-बार उसके साथ यौन संबंध बनाए।”

न्यायमूर्ति कथपालिया ने कहा, “सिर्फ इसलिए कि कोई लड़की किसी लड़के से दोस्ती करती है, इसका यह मतलब नहीं कि वह उसके साथ उसकी मर्जी के बिना यौन संबंध बना सकता है।”

यह फैसला उस समय आया है जब केंद्र सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में पॉक्सो कानून के तहत सहमति की उम्र को 18 से घटाकर 16 करने या किशोरों के आपसी रिश्तों को लेकर कोई छूट देने का कड़ा विरोध किया है। सरकार ने तर्क दिया है कि ऐसी कोई भी छूट “सुधार या किशोरों की स्वतंत्रता के नाम पर” बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनी कवच को कमजोर कर सकती है और इससे बाल यौन शोषण की घटनाओं को बढ़ावा मिल सकता है।

READ ALSO  यदि भर्ती प्राधिकरण उम्मीदवार की योग्यता स्वीकार करता है तो न्यायालय को नियुक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

निपुण सक्सेना द्वारा दायर जनहित याचिका में दिए गए अपने लिखित जवाब में केंद्र ने कहा है कि 18 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा को सख्ती से और समान रूप से लागू किया जाना चाहिए ताकि बच्चों के हितों की रक्षा की जा सके।

यह फैसला न केवल बाल संरक्षण कानूनों की भावना को बल देता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि दोस्ती या संबंध की आड़ में नाबालिगों की सहमति को नज़रअंदाज़ कर यौन संबंध बनाना गंभीर अपराध है।

READ ALSO  धारा 498A का पति और रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ दुरुपयोग हो रहा हैः सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता- जानिए विस्तार से
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles