भोपाल गैस त्रासदी: सुप्रीम कोर्ट ने मुआवज़े में गलत श्रेणीकरण पर याचिका खारिज की, हाईकोर्ट जाने की दी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के गंभीर रूप से घायल कई पीड़ितों को “अस्थायी अपंगता” या “हल्की चोट” के रूप में गलत वर्गीकृत किए जाने के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इस गलत श्रेणीकरण के कारण पीड़ितों को उचित मुआवज़ा नहीं मिल सका।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ता संगठनों को संबंधित उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी और स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दी है।

READ ALSO  Supreme Court Eases Travel Conditions for Activist Teesta Setalvad Ahead of Malaysia Conference

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “कई दशक बीत चुके हैं। क्या हमारे पास यह विशेषज्ञता है कि तय कर सकें कि किसी व्यक्ति को A श्रेणी या B श्रेणी में रखा जाना चाहिए था?”

Video thumbnail

याचिकाकर्ताओं के वकील ने स्पष्ट किया कि वे केवल यह मांग कर रहे हैं कि केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार ऐसे पीड़ितों की पहचान कर उन्हें उचित मुआवज़ा दे, जिन्हें भोपाल गैस त्रासदी (दावों के निपटारे) अधिनियम, 1985 और उसकी योजना के तहत गलत तरीके से कम गंभीरता वाली श्रेणी में रखा गया।

वकील ने यह भी बताया कि कई पीड़ित कैंसर और किडनी फेल जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें ‘हल्की चोट’ के मामलों में गिना गया।

READ ALSO  आरोपी और पीड़िता की बहन की शादी का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में शमन की अनुमति दी

गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव से 5,479 लोगों की मौत हुई थी और 5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। यह त्रासदी आज भी दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिनी जाती है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles