सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुरुग्राम की एक ट्रायल कोर्ट द्वारा होमबायर्स के खिलाफ जारी किए जा रहे जमानती और गैर-जमानती वारंट पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगी क्योंकि उसके पास कोर्ट की कार्यप्रणाली से जुड़ी “काफी जानकारी” है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने गुरुग्राम के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे की जांच करें, जहां चेक बाउंस मामलों में फ्लैट न मिलने के बावजूद खरीदारों से पैसे वसूलने के लिए अदालतें जबरदस्त आदेश जारी कर रही हैं।
पीठ ने टिप्पणी की, “हमें गुरुग्राम ट्रायल कोर्ट के बारे में बहुत सी जानकारी मिल रही है। हम इसे देखेंगे और विचार करेंगे कि क्या किया जा सकता है।”

यह टिप्पणियां उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आईं, जिन्हें 1,200 से अधिक होमबायर्स ने दाखिल किया है। याचिकाकर्ताओं ने एनसीआर के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में सबवेंशन योजना के तहत फ्लैट बुक कराए थे, लेकिन फ्लैटों का कब्जा नहीं मिलने के बावजूद बैंक उनसे ईएमआई वसूल रहे हैं।
कुछ खरीदारों ने अदालत को बताया कि गुरुग्राम की एक ट्रायल कोर्ट ऐसे मामलों में कठोर आदेश जारी कर रही है, जबकि उनके प्रोजेक्ट अभी तक पूरे नहीं हुए हैं या कानूनी विवादों में फंसे हैं।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को 22 नियमित मामले दर्ज करने की अनुमति दी है, ताकि बैंकों और बिल्डरों के बीच होमबायर्स को ठगने के “अशुद्ध गठजोड़” की जांच की जा सके। यह गठजोड़ उत्तर प्रदेश और हरियाणा की विकास प्राधिकरणों की संलिप्तता के साथ काम कर रहा था।
सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप उन हजारों होमबायर्स के लिए राहत की उम्मीद है, जो वर्षों से न तो फ्लैट पा सके हैं और न ही न्याय। मामला आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।