इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) में प्रॉक्सी सॉल्वर के माध्यम से धोखाधड़ी करने के आरोपी संदीप सिंह पटेल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि परीक्षा में की गई ऐसी बेईमानी न केवल मेहनती और ईमानदार छात्रों के भविष्य को प्रभावित करती है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में भरोसे को भी कमजोर करती है।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अपने आदेश (दिनांक 8 जुलाई) में कहा, “परीक्षा में की गई धोखाधड़ी उन प्रतिभाशाली छात्रों के करियर को गहराई से प्रभावित करती है जो ईमानदारी और मेहनत पर भरोसा करते हैं। यह एक असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाती है, जहां योग्यता को धोखे से दबा दिया जाता है।”
आरोप है कि 15 दिसंबर 2024 को आयोजित CTET परीक्षा में पटेल की जगह लोकेंद्र शुक्ला नामक व्यक्ति फर्जी प्रवेश पत्र और गलत बॉयोमेट्रिक पहचान के साथ परीक्षा देने पहुंचा था। परीक्षा केंद्र अधिकारियों को शक होने पर जब जांच की गई, तो मामला सामने आया और दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

पटेल की ओर से यह तर्क दिया गया कि वह 14 से 17 दिसंबर तक अस्पताल में भर्ती था और उसे इस पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं थी। साथ ही कहा गया कि उसका सॉल्वर या किसी अन्य आरोपी से कोई संपर्क या पैसों का लेन-देन नहीं हुआ था। यह भी कहा गया कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और सह-आरोपी शुक्ला को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पटेल के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। कोर्ट ने कॉल रिकॉर्ड का संज्ञान लेते हुए पाया कि पटेल अन्य आरोपियों के संपर्क में था और शुक्ला को परीक्षा में भेजने की योजना में शामिल था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “वह इस पूरे कृत्य का मुख्य लाभार्थी था, इसलिए यह मान लेना उचित नहीं कि वह इस अपराध में शामिल नहीं था।”