फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े बहुचर्चित मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी मोहम्मद खालिद की आरोपमुक्ति याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति शालिंदर कौर ने पुलिस को नोटिस जारी कर 14 अक्टूबर को अगली सुनवाई तय की है।
यह याचिका 22 नवंबर 2024 को निचली अदालत द्वारा खालिद और 24 अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या, डकैती और आगजनी समेत कई गंभीर धाराओं में आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देती है।
खालिद की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत ने आरोप तय करते समय उनके खिलाफ उपलब्ध तथ्यों की अनदेखी की और आरोप तय करने की कानूनी कसौटियों का पालन नहीं किया गया।

याचिका में दावा किया गया, “आरोपी के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता और न ही चार्जशीट में ऐसा कोई ठोस साक्ष्य है जिससे उनके खिलाफ संदेह की गंभीर संभावना बनती हो या उनका अपराध से कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित होता हो।”
यह मामला 24 फरवरी 2020 को चांद बाग प्रदर्शन स्थल पर उस समय हुए हमले से जुड़ा है जब पुलिस टीम ने प्रदर्शनकारियों को वज़ीराबाद मुख्य मार्ग अवरुद्ध करने से रोकने की कोशिश की थी। इसी दौरान भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया। कांस्टेबल रतन लाल, जो हल्के बुखार से पीड़ित थे, फिर भी ड्यूटी पर आए और अधिकारियों को बचाते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें 24 चोटें आई थीं, जिनसे उनकी मौत हो गई।
मामले में कुल 27 लोगों को आरोपी बनाया गया है। निचली अदालत ने 11 आयोजकों और वक्ताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का प्रथम दृष्टया मामला मानते हुए आरोप तय करने का आदेश दिया था। इनमें मोहम्मद सलीम खान, सलीम मलिक, मोहम्मद जलालुद्दीन उर्फ गुड्डू भाई, शहनवाज़, फुरकान, मोहम्मद अयूब, मोहम्मद यूनुस, अथर खान, तबस्सुम, मोहम्मद आयाज़ और उनके भाई मोहम्मद खालिद शामिल हैं।
इसके अलावा 14 अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, डकैती, दंगे, सरकारी कर्मचारी को गंभीर चोट पहुंचाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित धाराओं में आरोप तय किए गए थे।