इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि–शाही ईदगाह विवाद में वाद संख्या 17 को प्रतिनिधि वाद घोषित किया

मथुरा स्थित दशकों पुराने कृष्ण जन्मभूमि–शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक अहम मोड़ आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वाद संख्या 17 के वादी की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें अनुरोध किया गया था कि इस वाद को सभी संबंधित वादों के लिए प्रतिनिधि वाद के रूप में माना जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नरेन मिश्र ने पारित किया, जिससे वाद संख्या 17 अब सबसे पहले सुना जाएगा और उस पर निर्णय लिया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप अन्य सभी संबंधित मामलों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

अदालत ने सिविल प्रक्रिया संहिता की आदेश 1 नियम 8 के तहत वादी को आवश्यक संशोधन करने की अनुमति दी, ताकि यह वाद प्रतिनिधि वाद के रूप में चल सके। यह अर्जी मथुरा स्थित विवादित स्थल से जुड़े कई मूल वादों की संयुक्त सुनवाई के संदर्भ में दायर की गई थी, जहां शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी हुई है।

मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तस्लीमा नसीम ने इस कदम का विरोध नहीं किया, लेकिन उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि जब तक वाद संख्या 17 पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक अन्य सभी वादों की कार्यवाही स्थगित रखी जाए। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि वाद संख्या 17 में आने वाला अंतिम निर्णय अन्य सभी वादों पर भी लागू हो।

READ ALSO  अगर जांच अधिकारी स्वयं विधिक क्षेत्र से है तो विभागीय जाँच में बचाव पक्ष को वकील की सहायता से इनकार नहीं किया जा सकता है: गुजरात हाईकोर्ट

अदालत ने इस मामले में मुद्दों के निर्धारण के लिए 22 अगस्त की अगली तारीख तय की है।

हिंदू पक्ष की ओर से अब तक 18 वाद दायर किए गए हैं, जिनमें शाही ईदगाह मस्जिद की भूमि का स्वामित्व मांगना, मस्जिद संरचना को हटाना, मुगल काल में कथित रूप से तोड़े गए मंदिर की पुनर्स्थापना और स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है।

यह विवाद इस आरोप के इर्द-गिर्द केंद्रित है कि सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल में बनी शाही ईदगाह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित है। हिंदू याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर बनवाई गई थी।

READ ALSO  बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने सीबीआई निदेशक के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

इससे पहले 1 अगस्त 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि हिंदू भक्तों द्वारा दायर वाद विचारणीय हैं और वे लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट या पूजा स्थलों (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 के तहत प्रतिबंधित नहीं हैं — जो मस्जिद समिति के लिए एक बड़ा झटका था।

इसके बाद, 23 अक्टूबर 2024 को अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद समिति द्वारा दायर उस अर्जी को भी खारिज कर दिया था, जिसमें 11 जनवरी 2024 के उस आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी, जिसके तहत सभी संबंधित वादों को संयुक्त सुनवाई के लिए एकीकृत किया गया था।

READ ALSO  बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में एचडीएफसी बैंक एमडी के खिलाफ नोटिस रद्द किया
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles