पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-5 क्षेत्र में डीएलएफ लिमिटेड द्वारा कथित रूप से लगभग 2,000 पेड़ों की कटाई को लेकर मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पिछले महीने शुरू की गई स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) कार्यवाही को समाप्त कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने गुरुग्राम के उप वन संरक्षक राज कुमार द्वारा दायर हलफनामे पर गौर किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि संबंधित भूमि निजी स्वामित्व में है। हलफनामे के अनुसार, यह भूमि न तो संरक्षित वन श्रेणी में आती है, न ही आरक्षित वन क्षेत्र घोषित की गई है और न ही इसे अरावली वृक्षारोपण क्षेत्र के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है। इसके अतिरिक्त, कुमार ने अदालत को सूचित किया कि डीएलएफ को पेड़ों की कटाई की अनुमति उचित स्थल निरीक्षण के बाद ही प्रदान की गई थी।
अदालत ने यह कार्यवाही जून में तब शुरू की थी, जब स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों द्वारा लगभग 40 एकड़ भूमि पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को लेकर विरोध दर्ज कराया गया था।

कार्यवाही समाप्त करते हुए अदालत ने पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के महत्व पर बल दिया और डीएलएफ लिमिटेड को पेड़ काटने की अनुमति की सभी शर्तों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया — विशेष रूप से इस शर्त का कि हर कटे हुए पेड़ के बदले 10 नए पौधे लगाए जाएं। राज्य के अधिकारियों को इन पुनः वनीकरण गतिविधियों की निगरानी करने और पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।