देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ते छात्र आत्महत्या के मामलों पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली, पश्चिम बंगाल और राजस्थान पुलिस को निर्देश दिया कि वे आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-खड़गपुर और कोटा में हुई आत्महत्या की घटनाओं की जांच की स्थिति पर स्थिति रिपोर्ट (Status Report) पेश करें।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने यह आदेश सुनाया और मामले में गृह मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया। वरिष्ठ अधिवक्ता और अमाइकस क्यूरी अपर्णा भट्ट ने इस मुद्दे पर मंत्रालय की सहायता मांगी थी।
पीठ ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह दो छात्रों — आयुष आशना और अनिल कुमार — की आत्महत्या की जांच में हुई प्रगति की जानकारी दे, जिनकी मौत 8 जुलाई और 1 सितंबर 2023 को क्रमशः आईआईटी-दिल्ली के हॉस्टल में हुई थी। इन मामलों में एफआईआर सुप्रीम कोर्ट के 24 मार्च 2024 के आदेश के बाद दर्ज की गई थी।

न्यायालय ने कहा, “हम देखना चाहते हैं कि जांच में अब तक क्या प्रगति हुई है। एफआईआर दर्ज होने के बाद आपने क्या कदम उठाए हैं, यह हमें बताएं।”
इसी प्रकार, पश्चिम बंगाल पुलिस को आईआईटी-खड़गपुर के छात्र की 4 मई को हुई आत्महत्या की जांच की जानकारी देने को कहा गया है। इस मामले में 8 मई को एफआईआर दर्ज हुई थी।
इसके अलावा, राजस्थान पुलिस से भी कोटा में एक नीट की छात्रा की आत्महत्या की जांच की स्थिति बताने को कहा गया है। छात्रा अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी और उसके शव को उसके कमरे में फंदे से लटका पाया गया था।
गौरतलब है कि 23 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में छात्र आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को “गंभीर” बताते हुए राजस्थान सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 2025 में अब तक कोटा से 14 आत्महत्या के मामले सामने आ चुके हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को एक अहम फैसला सुनाते हुए छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक राष्ट्रीय कार्य बल (National Task Force – NTF) के गठन का आदेश दिया था, जिसका उद्देश्य छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन कर आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक उपाय सुझाना है।
इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट को नियुक्त किया गया है। इसमें राज्यों के उच्च शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय, विधि मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव पदेन सदस्य होंगे।
एनटीएफ को छात्रों की आत्महत्या के प्रमुख कारणों की पहचान, मौजूदा नियमों की समीक्षा और आवश्यक सुधारों की सिफारिश करने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, यह टास्क फोर्स देश के किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान में अचानक निरीक्षण (surprise inspections) कर सकेगी।
यह मामला उन दो छात्रों के परिजनों द्वारा दायर याचिका के आधार पर आया है, जिन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2024 के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने तब इन आत्महत्या मामलों में एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था। परिजनों का आरोप है कि दोनों छात्र अनुसूचित जाति से थे और संस्थान में जातीय भेदभाव का शिकार हुए थे। परिजनों ने हत्या की भी आशंका जताई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2018 से 2023 के बीच 98 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से 39 छात्र आईआईटी, 25 एनआईटी, 25 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 4 आईआईएम, 3 आईआईएसईआर और 2 आईआईआईटी से थे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को निर्धारित की है।