दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची से बार-बार बलात्कार के दोषी एक व्यक्ति की सजा को 30 साल से घटाकर 20 साल के कठोर कारावास में बदल दिया है। अदालत ने दोषी के 2015 से जेल में अच्छे आचरण को आधार बनाया।
11 जुलाई को फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने माना कि अपराध “अत्यंत गंभीर” था, लेकिन यह भी ध्यान में रखा कि दोषी जेल में सफाई सहायक (सफाई सहायक) के रूप में काम कर रहा था और पिछले नौ वर्षों से उसका आचरण संतोषजनक रहा है।
अदालत ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि अपीलकर्ता द्वारा किया गया अपराध अत्यंत गंभीर है।” लेकिन यह भी जोड़ा कि 6 अप्रैल 2015 से निरंतर कारावास और हिरासत में अच्छे व्यवहार को देखते हुए सजा में संशोधन उचित है।

दोषी ने ट्रायल कोर्ट के 2013 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(i) और (n) (नाबालिग से बलात्कार और बार-बार बलात्कार) तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत 30 वर्ष की सजा दी गई थी।
अभियोजन के अनुसार, पीड़िता और उसकी मां ने 4 अप्रैल 2015 को पुलिस में शिकायत की थी कि उनका पड़ोसी बार-बार बच्ची का यौन शोषण कर रहा है। पीड़िता ने बताया कि दिसंबर 2014 में, जब वह घर में अकेली थी, तो आरोपी ने उसे खाने का लालच देकर अश्लील सामग्री दिखाई और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसने चुप रहने के लिए धमकाया।
यह मामला तब सामने आया जब बच्ची ने पेट दर्द की शिकायत की और डॉक्टर को दिखाया गया। मेडिकल जांच में वह गर्भवती पाई गई। गर्भपात कराया गया और डीएनए सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए।
हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 376(2)(i), 376(2)(n), 450 (घर में घुसना), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन यौन उत्पीड़न के आरोप से बरी कर दिया। दोषी ने यह दलील दी थी कि पीड़िता की गवाही में विरोधाभास हैं, जिससे उसकी विश्वसनीयता खत्म होती है, लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए पीड़िता की गवाही को विश्वसनीय माना।
संशोधित फैसले के अनुसार, अब दोषी 20 वर्ष का कठोर कारावास भुगतेगा।