विपरीत परिस्थितियों में भी प्रेम की शक्ति को मान्यता देते हुए केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक हत्या के दोषी को अपनी मंगेतर से विवाह करने के लिए 15 दिन की पैरोल मंजूर की। यह मंगेतर दोषी को आजीवन कारावास की सज़ा मिलने के बावजूद उसके साथ खड़ी रही।
न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने दोषी प्रसांत की मां द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह राहत दी, जिससे वह 13 जुलाई को विवाह कर सके। कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रसांत को 12 जुलाई को रिहा किया जाए और 26 जुलाई को शाम 4 बजे तक वीयूर जेल में वापस प्रस्तुत होना होगा।
इससे पहले जेल अधीक्षक ने दोषी की पैरोल याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया।

न्यायालय ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि वह इस मामले को उस युवती के दृष्टिकोण से देख रहा है, जो दोषसिद्धि के बावजूद अपने प्रेम में अडिग रही। न्यायमूर्ति ने कहा, “दोषी को आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद भी उसका प्रेम जारी रहा।”
न्यायमूर्ति कुन्हिकृष्णन ने अमेरिकी कवयित्री माया एंजेलो का उद्धरण देते हुए कहा, “प्रेम कोई बाधा नहीं पहचानता। यह बाधाओं को पार करता है, दीवारों को भेदता है और आशा से भरा अपने गंतव्य तक पहुँचता है।” उन्होंने आगे कहा, “इस अदालत को उस साहसी लड़की के निर्णय की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, जो दोषी से विवाह करने को तैयार है… मैं अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए दोषी को 15 दिन की पैरोल प्रदान कर रहा हूँ।”
याचिका में कहा गया था कि यह विवाह दोष सिद्ध होने से पहले ही तय हो गया था और मंगेतर ने अपनी प्रतिबद्धता कभी नहीं छोड़ी। अदालत ने इस निष्ठा को स्वीकार करते हुए आशीर्वाद भी दिया: “वह लड़की प्रसन्न रहे और इस अदालत की ओर से उस पर आशीर्वाद बना रहे।”