केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को केईएएम 2025 प्रवेश परीक्षा के प्रोस्पेक्टस में राज्य सरकार द्वारा अंतिम समय में किए गए बदलाव को रद्द कर दिया। अदालत ने इस कदम को “गैरकानूनी, मनमाना और अनुचित” बताया और निर्देश दिया कि रैंक सूची को 19 फरवरी 2025 को जारी मूल प्रोस्पेक्टस के अनुसार ही फिर से प्रकाशित किया जाए।
न्यायमूर्ति डी.के. सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 1 जुलाई को रैंक सूची जारी होने से ठीक एक घंटे पहले फॉर्मूला में बदलाव किया गया, जो बेहद आपत्तिजनक है। इस बदलाव में स्कोरिंग का तरीका बदला गया था, जिसे लेकर सीबीएसई छात्रों के एक समूह ने याचिका दायर की थी और आरोप लगाया था कि परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद मूल्यांकन प्रक्रिया में बदलाव करना अनुचित है।
अदालत ने कहा, “प्रोस्पेक्टस में किया गया बदलाव रद्द किया जाता है। प्रवेश परीक्षा आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि रैंक सूची को 19 फरवरी को जारी प्रोस्पेक्टस के अनुसार प्रकाशित किया जाए।”

न्यायमूर्ति सिंह ने टिप्पणी की कि यह बदलाव प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होता है और इसे किसी खास समूह को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया। उन्होंने कहा, “प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि परिणामों को देखने के बाद यह पाया गया कि केरल स्ट्रीम के छात्रों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, और एक विशेष वर्ग को संतुष्ट करने के लिए यह मनमाना और दुर्भावनापूर्ण निर्णय लिया गया।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि परीक्षा नियमों में इस प्रकार का पीछे जाकर किया गया कोई भी बदलाव न तो कानूनी रूप से और न ही नैतिक दृष्टिकोण से स्वीकार्य है। “ऐसी शक्ति का प्रयोग पूरी तरह से मनमाना, गैरकानूनी और अनुचित है, जिसे किसी भी आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता,” अदालत ने कहा।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदु ने कहा कि सरकार इस निर्णय पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से चर्चा करेगी और आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। “अदालत के फैसले का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा और विचार-विमर्श के बाद उपयुक्त कदम उठाया जाएगा,” उन्होंने कहा।
हाईकोर्ट का यह आदेश केईएएम 2025 के तहत इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और फार्मेसी पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया पर व्यापक असर डाल सकता है।