इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा है कि उसके कर्मचारियों और महिला अधिवक्ताओं के लिए प्रस्तावित क्रेच (बाल देखभाल केंद्र) ideally कोर्ट परिसर के मुख्य भवन के भीतर होना चाहिए।
यह टिप्पणी अधिवक्ता जाह्नवी सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें हाईकोर्ट परिसर में क्रेच की स्थापना की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता सिंह ने, जो स्वयं पेश हुईं, दलील दी कि दिल्ली हाईकोर्ट सहित कई अन्य उच्च न्यायालयों में अत्याधुनिक क्रेच सुविधाएं उपलब्ध हैं और इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी ऐसी ही सुविधाएं होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि क्रेच की अनुपलब्धता महिला अधिवक्ताओं और महिला कर्मचारियों को मूलभूत देखभाल सुविधाओं से वंचित करती है।

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि सुविधा की दृष्टि से क्रेच ideally मुख्य भवन का ही हिस्सा होना चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से बताया गया कि प्रस्तावित क्रेच को एक नए प्रस्तावित मध्यस्थता केंद्र भवन में खोलने की योजना है।
कोर्ट ने इस पर ध्यान देते हुए हाईकोर्ट प्रशासन के वकील और रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर 25 जुलाई तक विस्तृत और अंतिम जवाब दाखिल करें, जब अगली सुनवाई होगी।
सिंह ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 11A का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में एक नियत दूरी के भीतर क्रेच की व्यवस्था अनिवार्य है और महिलाओं को नियमित अंतराल पर वहां जाने की अनुमति होनी चाहिए।