सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2016 की फिल्म कहानी 2 की स्क्रिप्ट से जुड़े एक कॉपीराइट उल्लंघन मामले में फिल्म निर्देशक सुजॉय घोष को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी। यह मामला झारखंड की एक अदालत में विचाराधीन है।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ, जो सर्वोच्च न्यायालय के आंशिक कार्यदिवसों के दौरान सुनवाई कर रही थी, ने घोष की उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें उन्होंने मुकदमा रद्द करने की मांग की है। अदालत ने झारखंड सरकार से इस पर जवाब भी तलब किया है।
यह मामला उमेश प्रसाद मेहता नामक व्यक्ति की शिकायत पर आधारित है, जिन्होंने आरोप लगाया कि सुजॉय घोष ने उनकी स्क्रिप्ट सबक की नकल की है। मेहता का दावा है कि 2015 में उन्होंने घोष से मुलाकात कर स्क्रिप्ट रजिस्ट्रेशन के लिए एक सिफारिश पत्र मांगा था, और बाद में कहानी 2 में सबक के कई तत्व इस्तेमाल कर लिए गए।

जून 2018 में हजारीबाग के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) ने प्रथम दृष्टया कॉपीराइट उल्लंघन का मामला बनता पाया और इसे कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 63 के तहत माना। इस कार्यवाही को रद्द करने की घोष की याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय ने इस वर्ष 22 अप्रैल को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
घोष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि शिकायत “स्वार्थपूर्ण और असंभव दावों” पर आधारित है। दवे ने दलील दी कि घोष ने कहानी 2 की स्क्रिप्ट 2012 में पूरी कर ली थी और दिसंबर 2013 तक स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन में पंजीकृत भी करवा दी थी — यह सब कुछ उस समय से पहले हुआ जब मेहता ने कथित तौर पर उनसे संपर्क किया।
दवे ने कहा, “यह एक खतरनाक उदाहरण पेश करता है। एक ईमानदार फिल्मकार के खिलाफ केवल अस्पष्ट आरोपों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि झारखंड की अदालत को इस शिकायत की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार कैसे प्राप्त हुआ, जबकि खुद शिकायतकर्ता के अनुसार भी कथित मुलाकात मुंबई में हुई थी। “कॉपीराइट स्वामित्व के प्रश्नों का निर्णय आपराधिक अदालत नहीं कर सकती,” दवे ने जोर दिया।
कहानी 2, जो समीक्षकों द्वारा सराही गई कहानी फिल्म का सीक्वल है, दिसंबर 2016 में रिलीज़ हुई थी और इसकी स्क्रिप्ट और निर्माण कार्य स्वयं सुजॉय घोष ने किया था।
अब सुप्रीम कोर्ट के नोटिस और व्यक्तिगत पेशी से छूट के आदेश के चलते हजारीबाग अदालत में चल रही कार्यवाही पर फिलहाल विराम लग गया है। मामले पर अगली सुनवाई झारखंड सरकार के जवाब के बाद की जाएगी।