सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नितीश कटारा हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे विकास यादव की अंतरिम जमानत को अंतिम बार चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया। पूर्व सांसद डी.पी. यादव के बेटे विकास यादव ने अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अतिरिक्त समय मांगा था, जिनकी हाल ही में रीढ़ की सर्जरी हुई थी।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि अब स्वास्थ्य कारणों से और कोई जमानत बढ़ाई नहीं जाएगी। अदालत ने कहा, “जमानत बढ़ाने का कोई भी नया आवेदन केवल आत्मसमर्पण के बाद ही दाखिल किया जा सकता है।”
पहले की जमानत शर्तों के तहत यादव को गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित अपने घर में ही रहना था, लेकिन अब अदालत ने उन्हें अपनी मां के साथ अस्पताल जाने की अनुमति दे दी है।

यह चौथी बार है जब शीर्ष अदालत ने यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाई है। इससे पहले 8 मई, 19 मई और 17 जून को उनकी जमानत बढ़ाई गई थी ताकि उनकी मां की सर्जरी (25 मई को) कराई जा सके। अब यह अंतिम विस्तार अगले चार सप्ताह के लिए दिया गया है, जिसके बाद यादव को आत्मसमर्पण करना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता एस. गुरु कृष्ण कुमार, जो यादव की ओर से पेश हुए, ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को भविष्य में गैर-चिकित्सीय आधारों पर जमानत मांगने से रोका नहीं जाना चाहिए। अदालत ने इस दलील को संज्ञान में लिया, लेकिन मां की तबीयत के आधार पर आगे कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक डवे ने अदालत को बताया कि शुरू में दी गई जमानत केवल मां की सर्जरी के लिए थी, जो अब पूरी हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता की मां फिलहाल फिजियोथेरेपी करा रही हैं।
यादव ने अपनी याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2015 में दोषसिद्धि के साथ लगाए गए ₹50 लाख के जुर्माने की अदायगी में आ रही कठिनाइयों का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में स्थित अचल संपत्तियों को बेचने में समय लगेगा और 23 साल की लंबी कैद के कारण उनके पास आधार कार्ड नहीं है।
वहीं, मृतक नितीश कटारा की मां नीलम कटारा की ओर से वकील वृंदा भंडारी ने जमानत शर्तों में किसी भी प्रकार की ढील का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा, “उनके प्रभाव और पहुंच के कारण ही मुकदमे को गाजियाबाद से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था।”
हालांकि, अदालत ने कहा, “जब तक वह कोई अपराध नहीं कर रहे हैं, तब तक क्या समस्या है? अगर वह शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।” अदालत ने घर में नजरबंदी की शर्त में ढील देते हुए अपना आदेश बनाए रखा।
नितीश कटारा हत्याकांड 16–17 फरवरी 2002 की रात का है, जब कथित रूप से भाटी यादव के साथ रिश्ते को लेकर कटारा का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी। 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई के लिए मुकदमा उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किया था। दिल्ली की अदालत ने 2011 में सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट और 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि विकास यादव की सजा में रिहाई पर विचार केवल 25 साल की सजा पूरी होने के बाद ही किया जाएगा।