तकनीकी आधारों पर Zero FIR से इनकार नहीं कर सकती पुलिस: केरल हाईकोर्ट ने विदेश से ई-मेल द्वारा भेजी गई शिकायत को वैध माना

केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कौसर एदप्पगथ ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी संज्ञेय अपराध से संबंधित शिकायत ई-मेल द्वारा विदेश से भेजी गई हो और उस पर हस्ताक्षर न भी हों, तब भी पुलिस उसे तकनीकी आधारों पर खारिज नहीं कर सकती। अदालत ने 2023 की भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita – BNSS) की धारा 173 में “Zero FIR” को विधिक मान्यता प्राप्त होने का हवाला देते हुए पुलिस को याचिकाकर्ता द्वारा दी गई किसी भी नई शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता, जो एक भारतीय नागरिक हैं और वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में निवास कर रही हैं, ने अपने पति के विरुद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए केरल के पुलिस महानिदेशक (DGP) को ई-मेल के माध्यम से एक शिकायत भेजी थी। डीजीपी ने यह शिकायत मुत्तोम पुलिस थाने को अग्रेषित कर दी। लेकिन पुलिस ने यह कहते हुए कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि शिकायत पर हस्ताक्षर नहीं थे और याचिकाकर्ता स्वयं उपस्थित नहीं हो सकतीं क्योंकि वे विदेश में रह रही हैं। इस इनकार को 12.09.2020 की एक चिट्ठी (संलग्नक A9) के माध्यम से सूचित किया गया।

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इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में आपराधिक विविध मामला संख्या 4778/2020 (Criminal Miscellaneous Case No. 4778 of 2020) दायर किया।

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पक्षकारों की दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता टी.बी. शाजिमोन (Adv. T.B. Shajimon) ने पक्ष रखा, जबकि राज्य की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजक ई.सी. बिनेश (Senior Public Prosecutor E.C. Bineesh) उपस्थित हुए।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि केवल इस आधार पर कि शिकायत पर हस्ताक्षर नहीं हैं या शिकायतकर्ता विदेश में है, पुलिस का उस पर कार्रवाई से इनकार करना आपराधिक कानून के उद्देश्य और पीड़िता के विधिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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कोर्ट का विश्लेषण

अदालत ने BNSS में किए गए बदलावों, विशेष रूप से धारा 173 में दी गई Zero FIR की कानूनी मान्यता पर ध्यान केंद्रित किया।

अदालत ने कहा,

“Zero FIR की अवधारणा मुख्य रूप से इस उद्देश्य से लाई गई है कि पीड़ित किसी भी थाना क्षेत्राधिकार की परवाह किए बिना शिकायत दर्ज करा सकें। इसलिए, यदि किसी शिकायत में संज्ञेय अपराध का उल्लेख है, तो पुलिस उसे केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं कर सकती कि वह विदेश से भेजी गई है।”

अदालत ने यह भी कहा कि मुत्तोम पुलिस द्वारा ई-मेल शिकायत पर कार्रवाई से इनकार करना BNSS के अंतर्गत वैधानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है।

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निर्णय

न्यायमूर्ति कौसर एदप्पगथ ने याचिका का निपटारा निम्नलिखित निर्देश के साथ किया:

“यह आपराधिक विविध याचिका (Crl.M.C.) इस निर्देश के साथ निपटाई जाती है कि प्रतिवादी संख्या 6, याचिकाकर्ता द्वारा दी गई किसी भी नई शिकायत पर BNSS, विशेष रूप से धारा 173 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई करे।”

याचिकाकर्ता ने नई शिकायत देने की इच्छा व्यक्त की थी।

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