इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व मऊ विधायक अब्बास अंसारी द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह अब निष्प्रभावी हो चुकी है। यह मामला वर्ष 2022 के एक हेट स्पीच से जुड़ा है। न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकल पीठ ने कहा कि इस याचिका में जिस आदेश (दिनांक 9 अप्रैल 2025) को चुनौती दी गई थी, उस मामले का ट्रायल समाप्त हो चुका है और अंतिम निर्णय भी आ चुका है।
अदालत ने कहा, “अदालत की राय में, जब दिनांक 9 अप्रैल 2025 का आदेश चुनौती के रूप में याचिका में प्रस्तुत किया गया है और मामले का ट्रायल समाप्त हो चुका है तथा निर्णय दे दिया गया है, तो वर्तमान याचिका निष्प्रभावी हो जाती है।”
अब्बास अंसारी ने याचिका के माध्यम से उस फॉरेंसिक रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसमें कथित हेट स्पीच वाले ऑडियो क्लिप की जांच की गई थी। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के निर्णय को याचिकाकर्ता विधिक उपायों के तहत चुनौती दे सकते हैं। “यदि पक्षकार उचित आधारों पर आग्रह करते हैं, तो उस निर्णय को संबंधित ट्रायल कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है,” अदालत ने कहा।

यह याचिका भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 528 के तहत दायर की गई थी, जिसे अदालत ने अब खारिज कर दिया है।
यह मामला 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान मऊ जिले में आयोजित एक राजनीतिक रैली से जुड़ा है, जिसमें अब्बास अंसारी अपने भाई के साथ मंच पर उपस्थित थे। आरोप है कि उनके भाई ने उस रैली में सरकारी अधिकारियों को चुनाव बाद ‘बदला लेने’ की धमकी दी थी। इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद मार्च 2022 में अंसारी भाइयों के खिलाफ IPC की धारा 171F (चुनावों में अनुचित प्रभाव) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
इस वर्ष की शुरुआत में विशेष सांसद-विधायक कोर्ट ने अब्बास अंसारी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। सजा के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई और मऊ सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया था।