ठाणे कोर्ट ने 71 वर्षीय बुज़ुर्ग को बिस्तर पर पड़ी पत्नी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई

ठाणे की एक सत्र अदालत ने 71 वर्षीय व्यक्ति को अपनी बिस्तर पर पड़ी पत्नी की हत्या के लिए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने इस हत्या को “जानबूझकर और सोच-समझकर की गई हत्या” बताया, जिसका कारण संपत्ति विवाद और देखभाल के बोझ से उपजी झुंझलाहट था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.एल. भोसले ने 12 जून को दिए गए आदेश में शोभनाथ राजेश्वर शुक्ला को अपनी पत्नी शारदा शुक्ला की हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने दोषी पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने दोषी की उम्र को देखते हुए किसी भी प्रकार की रियायत देने से इनकार करते हुए कहा, “दया न्याय की कीमत पर नहीं दी जा सकती।” अदालत ने हत्या की पूर्व-नियोजित प्रकृति और पीड़िता की लाचारी का पूरा दोहन किए जाने को गंभीर बताया।

Video thumbnail

मामला पृष्ठभूमि

यह घटना 8 नवंबर 2019 की है, जब शारदा शुक्ला अपने ठाणे शहर के वागले एस्टेट स्थित घर में मृत पाई गईं। उनकी गर्दन पर कुछ संदिग्ध निशान पाए गए थे, जिन पर सफेद मरहम लगाया गया था। इस पर शक जताते हुए उनके बेटे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना बताया गया।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णयः प्रोबेशन ऑफ प्रोबेशन एक्ट की धारा 4 का लाभ देने से इनकार करते समय इस बात का ध्यान नहीं दिया गया कि ये पहला अपराध है

अतिरिक्त सरकारी वकील आर.पी. पाटिल के अनुसार, इस हत्या के पीछे एक लंबा चला आ रहा संपत्ति विवाद था। शारदा, जिनकी पहली शादी से तीन बेटे थे, ने अपने पहले पति की मृत्यु के बाद विधुर शोभनाथ से विवाह किया था। विवाद तब शुरू हुआ जब शारदा अपने छोटे बेटे को एक कमरा देना चाहती थीं, जिसे उन्होंने पहले पति की संपत्ति से मिले पैसों से बनवाया था, जबकि शोभनाथ चाहते थे कि वह कमरा उनके बेटे को मिले।

शारदा के बेटे विशाल और अमोल यादव ने अदालत में गवाही दी कि शारदा के जून 2019 में गिरने के बाद जब वह बिस्तर पर रहने लगीं, तो शोभनाथ को उनकी देखभाल करनी पड़ती थी, जिससे वह लगातार नाराज़ रहते थे और कई बार हत्या की धमकी भी दे चुके थे।

बचाव पक्ष की दलीलें खारिज

बचाव पक्ष के वकील संदीप येवले ने तर्क दिया कि शारदा ने आत्महत्या की थी, और उन्होंने गवाहों की गवाही में विरोधाभास और मेडिकल अधिकारी की अनिश्चित रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि मौत गला दबाने से हुई या फांसी लगाने से।

READ ALSO  कॉर्पोरेशन के पास डाक्यूमेंट्स होने पर वह नागरिकों से प्रस्तुत करने को नहीं बोल सकता: हाईकोर्ट

अदालत ने आत्महत्या की इस थ्योरी को खारिज करते हुए कहा कि शारदा की शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खुद फांसी लगा सकें। साथ ही, अदालत ने यह भी माना कि घटना के बाद शोभनाथ का बर्ताव संदेहास्पद था — उन्होंने परिजनों और डॉक्टरों को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश की कि गर्दन का निशान मंगलसूत्र से बना है।

न्यायिक टिप्पणी

न्यायाधीश भोसले ने अपने निर्णय में कहा कि यह हत्या अचानक गुस्से में नहीं बल्कि पूर्व नियोजित तरीके से की गई थी, जिसमें संपत्ति का लालच, पीड़िता के प्रति नफरत और देखभाल के बोझ से छुटकारा पाने की भावना मुख्य कारण रहे।

READ ALSO  वाराणसी अदालत ने 2015 के दंगा मामले में यूपी कांग्रेस प्रमुख को छोड़कर सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप हटाने की अनुमति दी

अदालत ने कहा, “इस मामले में कोई भी ऐसी परिस्थिति नहीं है जिससे दोषी को दया दी जा सके। आरोपी ने पीड़िता की लाचारी का फायदा उठाया, पूर्व नियोजन के साथ अपराध किया और फिर उसे छिपाने का प्रयास भी किया।”

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles