उत्तराखंड हाईकोर्ट को सेना की यूनिट ने दी जानकारी: गंगा नदी में अवैध खनन पर कार्रवाई का अधिकार नहीं

उत्तराखंड हाईकोर्ट को मंगलवार को सूचित किया गया कि 27 इन्फैंट्री बटालियन, ईसीओ, गढ़वाल राइफल्स — जो कि टेरिटोरियल आर्मी की एक इकाई है — गंगा नदी के किनारे अवैध खनन गतिविधियों में हस्तक्षेप करने के लिए विधिक रूप से अधिकृत नहीं है, भले ही वह पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हो।

मुख्य न्यायाधीश रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जो पर्यावरण संगठन मातृ सदन और अन्य द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका में रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी के हिस्से में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की बात कही गई है, जिससे नदी की पारिस्थितिकी को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है और कई पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

READ ALSO  अति पिछड़ों के लिए अलग कोटा देने के लिए अनुसूचित जाति के भीतर उप वर्गीकरण स्वीकार्य है: सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने यह जानने का प्रयास किया था कि क्या टेरिटोरियल आर्मी इस क्षेत्र में अवैध खनन रोकने में सहायता कर सकती है। तब सेना के गढ़वाल क्षेत्र की लीगल सेल से कैप्टन राघव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित हुए थे और उन्होंने औपचारिक जवाब देने का आश्वासन दिया था।

Video thumbnail

18 जून को कोर्ट को सेना की लीगल सेल ने सूचित किया कि बटालियन पर्यावरणीय प्रयासों का समर्थन तो करती है, लेकिन उसे अवैध खनन के विरुद्ध सीधे कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार नहीं है। यह स्पष्ट किया गया कि नागरिक कानून प्रवर्तन मामलों में सैन्य इकाइयों की संवैधानिक और प्रशासनिक सीमाएं होती हैं।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि बटालियन का एक वरिष्ठ अधिकारी आगामी सुनवाई में 23 जून को इस विषय पर विस्तृत प्रस्तुति देगा।

READ ALSO  अनुकंपा नियुक्ति केवल उन मामलों में दी जानी चाहिए, जब परिवार गरीबी रेखा से नीचे हो और बुनियादी खर्चे पूरे करने के लिए संघर्ष कर रहा हो: सुप्रीम कोर्ट

इस जनहित याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि क्षेत्र में नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद खनन लगातार जारी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार NMCG के निर्देशों को लागू करने में विफल रही है, जिससे पर्यावरणीय क्षरण बढ़ता जा रहा है।

अब हाईकोर्ट यह जांचने पर विचार कर रही है कि क्या स्थानीय प्रवर्तन एजेंसियों की निष्क्रियता के चलते यह पारिस्थितिकीय संकट उत्पन्न हुआ है और आने वाली सुनवाई में सेना की प्रस्तुति और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया के आधार पर आगे के कदम उठाए जा सकते हैं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पाए तीन आरोपियों को किया बरी- इलाहाबाद HC और ट्रायल कोर्ट लिए कहा ये….
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles