गर्मी की छुट्टियों में सीनियर वकीलों की उपस्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने दोहराई आपत्ति, कहा– युवा वकीलों को मिले अवसर

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फिर एक बार यह स्पष्ट किया कि अदालत की गर्मी की छुट्टियों के दौरान वरिष्ठ वकीलों को मामलों की बहस से बचना चाहिए ताकि बार के युवा सदस्यों को सीखने और प्रस्तुत करने का अवसर मिल सके।

यह टिप्पणी उस समय आई जब वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी एक याचिकाकर्ता की ओर से अंतरिम ज़मानत की मांग को लेकर कोर्ट के समक्ष पेश हुए। याचिकाकर्ता पिछले 11 महीनों से हिरासत में है और उसकी नियमित ज़मानत याचिका फरवरी 2025 से दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है।

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने गर्मी की छुट्टियों के दौरान वरिष्ठ वकील की उपस्थिति पर सवाल उठाया और कहा कि अवकाश कालीन पीठों का उद्देश्य अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) और जूनियर वकीलों को अदालत में प्रस्तुत होने का अवसर देना है।

हालांकि कोर्ट ने रोहतगी को संक्षिप्त प्रस्तुतियाँ देने की अनुमति दी, लेकिन जब उन्होंने वही राहत मांगी जो पहले तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा खारिज की जा चुकी थी, तो अदालत ने सख्त टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कहा,
“इन दलीलों से हम बिल्कुल प्रभावित नहीं हैं। आपकी विशेष अनुमति याचिका इस अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी है। अब आप छुट्टियों के दौरान वही राहत लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे पहले खारिज किया जा चुका है।”

इसके बाद रोहतगी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और याचिका वापस ले ली गई।

यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं से छुट्टी के दौरान मामलों की बहस से परहेज करने को कहा है।

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जून 2023 में, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा था कि गर्मियों की छुट्टियों के दौरान मामलों को प्रस्तुत करने और बहस का अवसर अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड और जूनियर वकीलों को मिलना चाहिए।

मई 2023 में, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी और कहा था कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अवकाश काल में जूनियर वकीलों को बहस करने का मौका देना चाहिए। न्यायमूर्ति करोल ने उस समय कहा था,
“हम चाहते हैं कि युवा बार आगे बढ़े; छुट्टियों का मकसद ही यही था कि युवा लोगों को अवसर मिले।”

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हाल ही में मई 2025 में भी, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने यही बात दोहराई और वरिष्ठ वकीलों से गर्मी की छुट्टियों में मामलों की बहस से बचने की अपील की।

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