लक्कड़ शाह मजार पर बुलडोज़र कार्रवाई रोकी गई, यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को दिया चार सप्ताह तक कोई दमनात्मक कार्रवाई न करने का आश्वासन

उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया कि बहराइच के कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के मूर्तिहा रेंज में स्थित हज़रत सैयद हाशिम शाह उर्फ़ लक्कड़ शाह मजार सहित चार मजारों पर चल रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई रोक दी गई है। राज्य सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि आगामी चार सप्ताह तक कोई दमनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

यह बयान न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया और न्यायमूर्ति सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ के समक्ष दिया गया, जो बहराइच जनपद की दरगाह हज़रत सैयद मोहम्मद हाशिम शाह की ओर से दाखिल वक्फ संख्या 108 की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

विवाद की पृष्ठभूमि

वन विभाग द्वारा संरक्षित वन क्षेत्र में अतिक्रमण मानते हुए चार मजारों को ढहाने की कार्रवाई शुरू की गई थी। इनमें लक्कड़ शाह मजार भी शामिल है, जहां 16वीं शताब्दी से उर्स मनाए जाने का दावा किया गया है।

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि 5 जून 2025 को वन विभाग द्वारा पारित आदेश के तत्काल बाद प्रशासन ने 8 जून की रात को बुलडोज़र चलाकर दरगाह को ध्वस्त कर दिया, जबकि उस समय वहां श्रद्धालु भी मौजूद थे।

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राज्य की दलीलें

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 61(बी)(4) के तहत अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष आदेश को चुनौती देने का वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है। यह भी बताया गया कि रविवार से शुरू हुई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अब रोक दी गई है और अगले चार सप्ताह तक कोई दमनात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।

हाईकोर्ट का आदेश

कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए याचिकाकर्ता को अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष जाने की स्वतंत्रता दी और यह निर्देश दिया कि अपील या पुनर्विचार लंबित रहने के दौरान पक्षकारों के अधिकार सुरक्षित रखे जाएं और यथास्थिति बनाए रखी जाए।

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खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा In Re: Directions in the matter of Demolition of Structures & Ors. [Writ Petition (Civil) No. 295 of 2022, 2024 LiveLaw (SC) 884] में दिए गए निर्णय के पैरा 94.9 से 97 तक का हवाला देना भी उपयुक्त समझा।

विशेष रूप से पैरा 97 में यह प्रावधान है कि यदि कोई ध्वस्तीकरण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन में पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी/अधिकारियों से निजी व्यय पर ध्वस्त संपत्ति की पुनर्स्थापना और हर्जाना वसूला जाएगा।

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इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फारूक़ अहमद, अकरम आज़ाद और शुजात किदवई ने पैरवी की।

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