श्रावस्ती की 27 मदरसों पर कार्रवाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक, राज्य सरकार से 3 जुलाई तक मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद में स्थित 27 मदरसों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई, जिसमें ध्वस्तीकरण (डिमोलिशन) भी शामिल है, पर अंतरिम रोक लगा दी। न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 3 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।

मामला क्या है

यह अंतरिम आदेश मदरसा मोइनुल इस्लाम कासमिया समिति सहित श्रावस्ती जिले के 26 अन्य मदरसों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर पारित किया गया। याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा जारी उन नोटिसों को चुनौती दी है जिनमें कथित रूप से धार्मिक शिक्षा देने से उन्हें रोका गया था।

राज्य सरकार ने हाल ही में नेपाल सीमा से सटे जिलों — जैसे कि श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, महराजगंज और लखीमपुर खीरी — में अवैध कब्जों और बिना मान्यता प्राप्त धार्मिक संस्थानों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था। इसी अभियान के तहत मई में श्रावस्ती के भगवानपुर भैसाही गांव में एक “अवैध” मदरसे को ध्वस्त किया गया था और दो अन्य को सील किया गया था।

याचिकाकर्ताओं की दलील

मदरसों की ओर से अधिवक्ताओं निपेन्द्र सिंह, अविरल राज सिंह, अली मोइद और मोहम्मद यासिर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिस उन्हें विधिपूर्ण ढंग से न तो दिए गए और न ही उनमें कोई स्पष्ट आरोप दर्शाया गया। अधिवक्ताओं का कहना था कि बिना उचित मानसिक अनुशीलन के नोटिस जारी किए गए हैं।

राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता उपेन्द्र सिंह ने दो सप्ताह का समय मांगा ताकि वह आवश्यक निर्देश प्राप्त कर सकें। हालांकि, अदालत ने यह भी दर्ज किया कि उसके पूर्ववर्ती आदेश के बावजूद सरकार आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर सकी।

न्यायालय की टिप्पणी और आदेश

राज्य को अतिरिक्त समय प्रदान करते हुए न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता मदरसों के विरुद्ध किसी भी प्रशासनिक या विध्वंसात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा:

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की

“अब यह विधिसम्मत रूप से स्थापित हो चुका है कि जब किसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, तो उसमें पर्याप्त स्पष्टता होनी चाहिए, जिससे संबंधित पक्ष विशिष्ट रूप से उत्तर दे सके और यह जान सके कि उस पर किस आरोप का उत्तर देना है।”

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 14 मई को मकतब अनवारुल उलूम नामक एक अन्य मदरसे से संबंधित याचिका में भी इसी प्रकार की अंतरिम राहत दी थी।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने खेल मंत्रालय को एथलेटिक आयोजनों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने का आदेश दिया

अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें राज्य सरकार को अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles