मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच असम में पुलिस मुठभेड़ों की जांच असम मानवाधिकार आयोग को सौंपी: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम में मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच हुई पुलिस मुठभेड़ों की स्वतंत्र जांच करने का निर्देश असम मानवाधिकार आयोग (AHRC) को दिया है, जिनमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय प्रक्रियाओं के कथित उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जव्वादर द्वारा दाखिल याचिका में प्रस्तुत मामलों में से कुछ की स्वतंत्र जांच की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन संकलित आंकड़ों के आधार पर समग्र रूप से कोई निर्देश देना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि अधिकांश मामलों में तथ्यों की सही स्थिति स्पष्ट नहीं है।

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कोर्ट ने कहा, “हम यह मामला असम मानवाधिकार आयोग को सौंपते हैं, ताकि वह स्वतंत्र और शीघ्र जांच कर सके। यह सुनिश्चित किया जाए कि पीड़ितों और उनके परिवारों को निष्पक्ष रूप से अपनी बात रखने का अवसर मिले।” आयोग को निर्देश दिया गया है कि वह एक सार्वजनिक नोटिस जारी करे और पीड़ितों या उनके परिजनों से गोपनीय तरीके से आवेदन आमंत्रित करे।

राज्य सरकार को सहयोग का निर्देश

कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिया कि वह जांच में पूरा सहयोग दे और कोई भी संस्थागत बाधा आयोग की कार्यवाही में न आने दे। साथ ही कोर्ट ने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को पीड़ित परिवारों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया।

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पृष्ठभूमि

यह आदेश उस याचिका पर आया है, जिसमें मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच हुई 171 मुठभेड़ों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि इनमें से कई फर्जी मुठभेड़ थीं और सुप्रीम कोर्ट के 2014 के PUCL बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया।

हालांकि, असम सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि सभी मुठभेड़ों में निर्धारित दिशानिर्देशों का “पूरी तरह पालन” किया गया है और याचिकाकर्ता का उद्देश्य पुलिस बलों को अनावश्यक रूप से निशाना बनाना है, जो कि उनके मनोबल को प्रभावित करता है।

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने जनवरी 2023 में इस मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। असम सरकार के हलफनामे के अनुसार, 171 घटनाओं में 56 लोगों की मृत्यु हुई थी, जिनमें से 4 मौतें हिरासत में हुईं, और 145 लोग घायल हुए थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में इस मामले को “बहुत गंभीर” बताया था और राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी थी। अब, आयोग द्वारा की जाने वाली जांच में इन सभी मामलों की संवेदनशीलता और गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए निष्पक्षता से जांच की जाएगी।

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