दिल्ली की एक अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि शब्दों की ताकत केवल संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि वे किसी की गरिमा और सामाजिक सम्मान को भी गहरे रूप से प्रभावित कर सकते हैं। अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी महिला पड़ोसी की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत दोषी ठहराया है।
यह मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में पेश हुआ था। अदालत ने कहा कि आरोपी द्वारा इस्तेमाल किया गया शब्द ‘हराम’ कोई सामान्य गाली नहीं है, बल्कि यह ऐसा शब्द है जो महिला के चरित्र और आत्म-सम्मान पर सीधा प्रहार करता है। आदेश में कहा गया, “’हराम’ का अर्थ सिर्फ मना किया गया नहीं, बल्कि यह कुछ ऐसा है जो गलत तरीके से या अनैतिक साधनों से प्राप्त हुआ हो। इस शब्द का प्रयोग किसी मेहनतकश महिला के लिए करना उसकी गरिमा का अपमान है।”
लगातार हो रही थी अभद्र टिप्पणी

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी 2017 से लगातार अपनी महिला पड़ोसी के खिलाफ अश्लील और अपमानजनक टिप्पणियां करता आ रहा था। एक विशेष घटना का हवाला देते हुए कहा गया कि आरोपी ने महिला पर “हराम का माल लाने” और “कितनों से करवा के आई है” जैसे वाक्य कहे, जो न केवल अशिष्ट थे, बल्कि महिला की यौन शुचिता पर भी सवाल उठाते थे।
न्यायालय ने कहा: यह सीधा यौन अपमान है
अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे वाक्य सिर्फ गालियाँ नहीं हैं, बल्कि वे महिला की लैंगिक गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले हैं। “’कितनों से करवा के आई है’ एक साधारण अपशब्द नहीं है,” न्यायाधीश ने कहा। “यह महिला की निष्ठा पर प्रश्न उठाता है, और यह इंगित करता है कि वह कई पुरुषों से यौन संबंध रखती है—यह टिप्पणी सीधा उसकी मर्यादा पर आघात है।”
बचाव पक्ष ने दलील दी कि घटना का कोई स्वतंत्र प्रत्यक्षदर्शी नहीं है, लेकिन अदालत ने महिला की गवाही को स्पष्ट और विश्वसनीय मानते हुए कहा कि गवाहों की अनुपस्थिति शब्दों की गंभीरता और उद्देश्य को कम नहीं करती।
अब आरोपी को IPC की धारा 509 के तहत सजा सुनाई जाएगी, जिसमें महिलाओं की मर्यादा का अपमान करने वाले शब्द, इशारे या कार्यों के लिए सजा का प्रावधान है। सजा की घोषणा आने वाले दिनों में की जाएगी।