पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आर्मी कर्नल से मारपीट के आरोपी इंस्पेक्टर को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर रॉनी सिंह सलह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। वह पटियाला में सेना के कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाथ और उनके बेटे से मारपीट के मामले में मुख्य आरोपी हैं।

न्यायमूर्ति अनूप चितकारा ने अपने आदेश में पुलिसकर्मियों की कार्रवाई को “क्रूर, असभ्य, निर्मम और अमानवीय” करार दिया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में कानून के रक्षकों का ऐसा व्यवहार पूरी तरह अस्वीकार्य है और यह पुलिस शक्तियों के घोर दुरुपयोग का उदाहरण है।

मार्च माह में घटित इस घटना में कर्नल बाथ ने आरोप लगाया था कि वह और उनका बेटा पटियाला में एक ढाबे के बाहर पार्किंग विवाद के चलते 12 पुलिसकर्मियों द्वारा बुरी तरह पीटे गए। उन्होंने कहा कि चार इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों सहित अन्य सशस्त्र पुलिसकर्मियों ने उन्हें बिना किसी उकसावे के मारा-पीटा, उनका पहचान पत्र और मोबाइल फोन छीन लिया और “फर्ज़ी एनकाउंटर” की धमकी दी। यह सब सार्वजनिक स्थल पर और सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हुआ। इस हमले में कर्नल का हाथ टूट गया और उनके बेटे के सिर में गंभीर चोट आई।

न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा, “अगर मान भी लिया जाए कि शिकायतकर्ता पक्ष ने गाड़ी गलत जगह पार्क की थी, तब भी कानून प्रवर्तन अधिकारियों का कर्तव्य केवल चालान काटना है, न कि आम नागरिकों को बर्बर तरीके से पीटना।”

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उन्होंने कहा, “यह मामला पुलिस अधिनियम के तहत आपातकालीन शक्तियों के घोर दुरुपयोग का प्रतीक है।”

न्यायालय ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि कर्नल बाथ द्वारा सेना अधिकारी होने की पहचान दिखाने के बावजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें नहीं बख्शा, जो “अहंकार, निर्ममता और संवेदनहीनता” को दर्शाता है।

हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं आम जनता, खासकर गरीब और अशिक्षित तबकों में पुलिस के प्रति भय और अविश्वास पैदा करती हैं, और यह चिंता का विषय है।

“पुलिस का मुख्य उद्देश्य लोगों के मन में डर पैदा करना नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना है। इसके लिए आवश्यक है कि खुद पुलिसकर्मी भी कानून का सम्मान करें,” न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा।

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अदालत ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों हुई और निर्देश दिया कि इस पहलू की जांच पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के अधिकारी द्वारा की जाए।

उन्होंने कहा, “यदि पुलिसकर्मी हमारे सम्मानित रक्षा बलों के सदस्यों के साथ इतनी क्रूरता, अत्याचार और अपमान का व्यवहार करते हैं, तो यह पूरी राष्ट्र के विरुद्ध है।”

कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त और उनके साथी ही हमले की शुरुआत करने वाले थे, और सिर्फ इसलिए हमला किया गया क्योंकि शिकायतकर्ता ने उनकी गाड़ी हटाने की मांग पर आपत्ति जताई थी।

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“बेल याचिका और इससे जुड़े दस्तावेज यह दर्शाते हैं कि आरोपी की भूमिका प्रथम दृष्टया स्पष्ट है और यह अग्रिम जमानत देने का उपयुक्त मामला नहीं बनता,” कोर्ट ने कहा।

इस आधार पर अदालत ने इंस्पेक्टर रॉनी सिंह सलह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

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