हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPPCL) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है।
न्यायमूर्ति अजय गोयल की एकल पीठ ने यह आदेश नेगी की पत्नी किरण नेगी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट ने साथ ही स्पष्ट निर्देश दिया कि जांच में हिमाचल प्रदेश कैडर के किसी भी अधिकारी को शामिल न किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आर. के. बावा ने यह जानकारी दी। विस्तृत निर्णय की प्रति अभी प्रतीक्षित है।
गौरतलब है कि विमल नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और उनका शव 18 मार्च को बिलासपुर जिले की गोबिंद सागर झील से बरामद हुआ था। उनकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि उनके पति को पिछले छह महीनों से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता था। उन्होंने यह भी कहा था कि बीमार होने के बावजूद उन्हें देर रात तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता अनुप रतन ने कोर्ट में कहा, “हम किसी भी जांच एजेंसी द्वारा जांच से परहेज नहीं कर रहे हैं, SIT की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी रही है। फिलहाल हम हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने की कोई योजना नहीं बना रहे हैं।”
हालांकि, बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा ने स्वयं SIT जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए, जिससे याचिकाकर्ता के सीबीआई जांच की मांग को बल मिला।
हाईकोर्ट के इस फैसले का विपक्ष की ओर से स्वागत किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा, “अब मामले की निष्पक्ष जांच होगी और सच्चाई सामने आएगी।”
नेगी का शव मिलने के बाद उनके परिजनों ने 19 मार्च को शिमला स्थित HPPCL कार्यालय के बाहर शव के साथ धरना दिया था और सीबीआई जांच की मांग की थी। इसके बाद HPPCL के निदेशक (विद्युत) और प्रबंध निदेशक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने और सामूहिक आपराधिक जिम्मेदारी की धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
कोर्ट का यह निर्णय नेगी परिवार की न्याय की मांग को बल देता है और सरकारी संस्थानों में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।