उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मोहम्मद उस्मान के घर के ध्वस्तीकरण से जुड़ी कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। वह इस समय जेल में बंद हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि यह मामला दीवानी प्रकृति का है और ध्वस्तीकरण से संबंधित निर्णय सक्षम विकास प्राधिकरण द्वारा लिया जाना चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह निर्धारित तिथि पर संबंधित प्राधिकरण के समक्ष पेश हों।
यह याचिका उस्मान की पत्नी हुस्न बेगम ने दायर की थी, जिन्होंने दलील दी कि उनके पति जेल में हैं और इसलिए वह प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए ध्वस्तीकरण नोटिस का जवाब नहीं दे सके। उन्होंने अदालत से राहत की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि नैनिताल में पिछले महीने हुए दुष्कर्म के आरोपों के बाद उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव के माहौल में उनके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है।
घटना के बाद स्थानीय विकास प्राधिकरण ने उस्मान के मकान को गिराने के लिए नोटिस जारी किया था। हालांकि बाद में ये नोटिस वापस ले लिए गए, लेकिन उसके कुछ समय बाद नए नोटिस फिर से जारी किए गए, जिसके चलते हुस्न बेगम ने हाईकोर्ट का रुख किया।
हाईकोर्ट ने कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई जिले की विकास प्राधिकरण द्वारा की जाए, जिसकी सुनवाई 22 मई को निर्धारित है।