सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की उस लगातार चुप्पी पर कड़ा सवाल उठाया, जिसमें अब तक भारत में क्रिप्टोकरेंसी, विशेष रूप से बिटकॉइन व्यापार को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बनाई गई है। न्यायालय ने इस व्यापार की तुलना ‘हवाला कारोबार’ से करते हुए इसके आर्थिक प्रभावों पर गहरी चिंता जताई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने गुजरात में बिटकॉइन धोखाधड़ी के एक हाई-प्रोफाइल मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,
“केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए स्पष्ट नीति क्यों नहीं बना रही? इसका एक समानांतर अवैध बाजार मौजूद है, जो देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। नीति बनाकर व्यापार पर नजर रखी जा सकती है।”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बिटकॉइन को “अवैध व्यापार, जो अधिकतर हवाला जैसा है” करार दिया और तुरंत नियमन की आवश्यकता पर बल दिया।
यह टिप्पणी आरोपी शैलेश बाबूलाल भट्ट की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिस पर गुजरात में बिटकॉइन से जुड़े एक बड़े घोटाले का आरोप है। भट्ट पर निवेशकों को भारी मुनाफे का झांसा देने और कुछ मामलों में अपहरण तक कराने का भी आरोप है।

केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि भट्ट “गुजरात में बिटकॉइन व्यापार के सबसे बड़े एग्रीगेटर में से एक हैं और उन्होंने कई निवेशकों को धोखा दिया है।”
हालांकि, भट्ट के वकील ने दलील दी कि भारत में बिटकॉइन का व्यापार अवैध नहीं है और सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आरबीआई के उस सर्कुलर को रद्द कर दिया था जिसमें बैंकों को क्रिप्टो संबंधित संस्थाओं से लेन-देन करने से रोका गया था।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को भी इसी मामले की सुनवाई में कहा था कि “बिटकॉइन लेन-देन हवाला के परिष्कृत रूप जैसे लगते हैं।”
सोमवार को अदालत ने एक बार फिर केंद्र से ठोस नीति की मांग दोहराई और कहा कि नीति की अनुपस्थिति अवैध शोषण के अवसर को जन्म देती है। ASG भाटी ने आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे पर सरकार से निर्देश प्राप्त करेंगी।
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। फरवरी 2022 में भी कोर्ट ने केंद्र को क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।
वर्तमान मामला देश के विभिन्न राज्यों में दर्ज कई एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें भट्ट पर नकली बिटकॉइन योजनाओं के ज़रिए निवेशकों को धोखा देने का आरोप है।
यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब विश्वभर में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्पष्ट नियम बनाए जा रहे हैं, लेकिन भारत अब भी सतर्क रुख अपनाए हुए है। धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और निवेश घोटालों की बढ़ती घटनाओं के बीच नियमन की स्पष्टता की कमी गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की ताज़ा टिप्पणियां केंद्र पर नियमन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दबाव और तेज़ कर सकती हैं।