दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगा और गणतंत्र दिवस हिंसा मामलों में विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति को लेकर एलजी के फैसले के खिलाफ सरकार की याचिका वापस लेने की अनुमति दी

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को 2020 के फरवरी दंगों और 26 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के मामलों में दिल्ली पुलिस को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त करने की अनुमति देने वाले उपराज्यपाल (एलजी) के 2021 के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका को दिल्ली सरकार द्वारा वापस लेने की अनुमति दे दी।

मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सरकार की याचिका को वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा, “आवेदन स्वीकार किया जाता है और याचिका को वापस लिया गया मानते हुए खारिज किया जाता है।” एलजी के वकील द्वारा याचिका पर कोई आपत्ति न जताने के बाद कोर्ट ने यह आदेश पारित किया।

मामला पृष्ठभूमि

यह याचिका मूल रूप से दिल्ली की तत्कालीन आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा दायर की गई थी। सरकार ने 23 जुलाई 2021 के एलजी के उस आदेश का विरोध किया था, जिसमें दिल्ली पुलिस को एसपीपी नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी। सरकार का तर्क था कि जांच करने वाली एजेंसी द्वारा अभियोजक नियुक्त करना “हितों का टकराव” पैदा करता है और निष्पक्ष सुनवाई के संवैधानिक अधिकार को खतरे में डालता है।

पूर्व सरकार ने कहा था कि एसपीपी की नियुक्ति एक सामान्य प्रशासनिक मामला है और इसे राष्ट्रपति के पास भेजना गैरज़रूरी और कानूनन गलत था, खासकर जब सरकार पहले ही स्वतंत्र अभियोजकों की नियुक्ति पर सहमत हो चुकी थी।

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हालांकि राष्ट्रपति को भेजी गई संदर्भ अभी लंबित थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 26 जुलाई 2021 को एक अधिसूचना जारी कर और 4 अगस्त 2021 को एक निर्देश के माध्यम से एलजी के फैसले को समर्थन दे दिया था।

याचिका में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस द्वारा चुने गए एसपीपी को नियुक्त करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे उन मामलों में अभियोजन की स्वतंत्रता प्रभावित होगी, जिनमें पुलिस पर ही सवाल उठाए गए हैं।

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कोर्ट कार्यवाही और निष्कर्ष

राजनीतिक सत्ता परिवर्तन के बाद वर्तमान सरकार ने याचिका वापस लेने का निर्णय लिया, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही यह कानूनी चुनौती समाप्त हो गई, हालांकि संविधान के अनुच्छेद 239-AA(4) के तहत एलजी की शक्तियों और राष्ट्रपति की भूमिका से जुड़े बड़े संवैधानिक प्रश्न अब भी अनुत्तरित बने हुए हैं।

संवैधानिक संदर्भ

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239-AA(4) उपराज्यपाल को यह अधिकार देता है कि किसी मुद्दे पर निर्वाचित सरकार से असहमति होने पर वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं — विशेषकर जब मामला कानून-व्यवस्था या संवैधानिक व्याख्या से जुड़ा हो। इस प्रावधान के तहत ही एलजी ने दिल्ली सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए मामला राष्ट्रपति को संदर्भित किया था।

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