दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता जैसमिन शाह को 2022 में डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ऑफ दिल्ली (DDCD) के उपाध्यक्ष पद से हटाए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी है। अतः यह याचिका वापस ली गई मानकर खारिज की जाती है।”
यह फैसला उस समय आया जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि याचिका अब अर्थहीन हो चुकी है क्योंकि शाह को विधिपूर्वक पद से हटा दिया गया था।
शाह ने 17 नवंबर 2022 के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जो दिल्ली सरकार के निदेशक (योजना) द्वारा जारी किया गया था। यह आदेश तत्कालीन उपराज्यपाल (LG) द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शाह को DDCD के उपाध्यक्ष पद से हटाने के अनुरोध पर आधारित था।
इस आदेश के तहत न सिर्फ शाह को उनके पद से हटाया गया, बल्कि यह आरोप लगाते हुए कि वे DDCD कार्यालयों का “राजनीतिक हित में दुरुपयोग” कर रहे थे, कार्यालयों को सील कर दिया गया। साथ ही, उन्हें मिली सभी सरकारी सुविधाएं और विशेषाधिकार भी वापस ले लिए गए।
अपनी याचिका में शाह ने इस कार्रवाई को “शक्ति का घोर दुरुपयोग” बताते हुए “पूरी तरह निराधार, रंगदारीपूर्ण, गैरकानूनी, स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण और अधिकार क्षेत्र से परे” करार दिया था। उन्होंने अपने कार्यालय को सील करने और उनकी मंत्री स्तरीय सुविधाएं वापस लेने के आदेशों को भी चुनौती दी थी।
कार्यवाही के दौरान, उपराज्यपाल की ओर से अदालत को बताया गया कि शाह को हटाने का मामला भारत के राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा गया है।
शाह दिल्ली सरकार की नीति निर्माण प्रक्रिया में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन नीति, फूड ट्रक नीति, इलेक्ट्रॉनिक सिटी परियोजना और दिल्ली शॉपिंग फेस्टिवल जैसे कई प्रमुख कार्यक्रमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। DDCD के उपाध्यक्ष के रूप में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था और वे सरकारी आवास, वाहन व निजी स्टाफ जैसी सुविधाओं के पात्र थे।
