सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में सुनाया फैसला, बेंगलुरु हरे कृष्ण मंदिर का अधिकार मिला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक दशक पुराने कानूनी विवाद का अंत करते हुए बेंगलुरु स्थित प्रतिष्ठित हरे कृष्ण मंदिर और शैक्षणिक परिसर पर इस्कॉन बैंगलोर का अधिकार स्वीकार किया है।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस्कॉन बैंगलोर द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें 2011 के कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें इस्कॉन मुंबई के पक्ष में निर्णय दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ 2009 में बेंगलुरु की निचली अदालत द्वारा दिए गए उस निर्णय को बहाल कर दिया गया है, जिसमें इस्कॉन बैंगलोर की वैध स्वामित्व को मान्यता दी गई थी और इस्कॉन मुंबई पर स्थायी निषेधाज्ञा लागू की गई थी।

यह विवाद दो संगठनों के बीच था जिनके नाम, आध्यात्मिक लक्ष्य और धार्मिक मान्यताएं काफी हद तक एक समान हैं। मुद्दा यह था कि बेंगलुरु के इस मंदिर और परिसर का प्रशासन और स्वामित्व किसके पास होगा।

Video thumbnail

इस्कॉन बैंगलोर, जो कर्नाटक राज्य कानून के तहत पंजीकृत एक स्वतंत्र संस्था है, ने अदालत में यह दलील दी थी कि वह इस्कॉन मुंबई के अधीन नहीं है और पिछले कई वर्षों से वह इस मंदिर परिसर का स्वतंत्र रूप से संचालन कर रही है।

वहीं, इस्कॉन मुंबई — जो राष्ट्रीय स्तर पर 1860 के सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट और 1950 के बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट के तहत पंजीकृत है — का दावा था कि इस्कॉन बैंगलोर उसकी एक शाखा भर है और मंदिर की संपत्ति उसके अधिकार क्षेत्र में आती है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न केवल इस्कॉन बैंगलोर को मंदिर का पूर्ण नियंत्रण प्राप्त हो गया है, बल्कि उसकी स्वतंत्र कानूनी पहचान को भी मान्यता मिल गई है। यह फैसला देशभर में इस्कॉन से जुड़े मंदिरों और संगठनों के प्रशासन पर भी व्यापक प्रभाव डाल सकता है।

4o

READ ALSO  COVID19 Poster Can’t Be Pasted Outside the Home Without Order of Authority under NDMA: SC
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles