आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी और न्यायमूर्ति चल्ला गुणारंजन शामिल थे, ने एक सड़क दुर्घटना में मृत पुलिस ड्राइवर के परिजनों को दिए गए मुआवजे के विरुद्ध बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कडप्पा स्थित मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के उस निर्णय को बरकरार रखा जिसमें दुर्घटना के लिए ऑटो चालक को जिम्मेदार ठहराया गया था और मुआवजे की राशि को ₹25.50 लाख से बढ़ाकर ₹33.78 लाख कर दिया, साथ ही 9% वार्षिक ब्याज भी प्रदान किया।
पृष्ठभूमि:
13 जून 2015 को, मृतक अल्लापुराजु किरण कुमार, जो पुलिस विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे, चुनावी ड्यूटी पर जा रहे थे। पुलिस जीप और एक टाटा मैजिक ऑटो (क्रमांक AP 26TV 0809) के बीच टक्कर हुई, जिससे मृतक को गंभीर चोटें आईं और चेन्नई ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई। एफआईआर संख्या 73/2012 को आईपीसी की धाराओं 337, 338, और 304A के तहत पंजीकृत किया गया था।
मृतक की पत्नी ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के अंतर्गत ₹30.50 लाख के मुआवजे की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। अधिकरण ने ₹25.50 लाख का मुआवजा स्वीकृत किया, जिससे असंतुष्ट होकर बीमा कंपनी ने अपील दायर की।
अपीलकर्ता के तर्क (बीमा कंपनी):
- एक्सहिबिट A2 (पंचनामा रिपोर्ट) और X5 (फाइनल रिपोर्ट) के आधार पर दावा किया गया कि दुर्घटना मृतक की लापरवाही से हुई थी।
- प्रत्यक्षदर्शियों के बयान को दरकिनार कर पुलिस रिपोर्ट को अधिक वज़न देने की मांग की गई।
- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी बनाम आशालता भौमिक [(2018) 9 SCC 801] का हवाला देते हुए कहा गया कि यदि मृतक स्वयं दोषी हो तो मुआवजा नहीं दिया जा सकता।
प्रतिवादी के तर्क (दावेदार):
- प्रत्यक्षदर्शी गवाह PW3 और PW4, जो पुलिस अधिकारी थे और दुर्घटना के समय जीप में सवार थे, की गवाही को विश्वसनीय बताया गया।
- कहा गया कि पंचनामा और पुलिस रिपोर्ट केवल सहायक दस्तावेज हैं और जब प्रत्यक्षदर्शी उपलब्ध हों, तो उनके बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- प्रणय सेठी मामले के साथ Emani Venkata Archana बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के फैसले का हवाला देते हुए मुआवजे में वृद्धि की मांग की गई।
न्यायालय का अवलोकन:
- न्यायालय ने कहा: “जब दुर्घटना स्वीकार की जा चुकी है और प्रत्यक्षदर्शी भी मौजूद हैं, वह भी पुलिस अधिकारी, तो उनके बयानों पर अविश्वास का कोई कारण नहीं बनता।”
- पंचनामा और फाइनल रिपोर्ट मात्र आपराधिक कार्यवाही के दस्तावेज़ हैं, उन्हें मुआवजे के दावे में निर्णायक नहीं माना जा सकता।
- आशालता भौमिक का मामला इस मामले से भिन्न था क्योंकि उसमें दूसरा वाहन शामिल नहीं था।
बढ़ा हुआ मुआवजा विवरण:
मुआवजा शीर्ष | राशि (₹ में) |
वार्षिक शुद्ध आय | ₹1,80,324 |
भविष्य की संभावनाएँ (50%) | ₹90,162 |
कुल आय | ₹2,70,486 |
व्यक्तिगत खर्च कटौती (1/3) | ₹90,162 |
वार्षिक आश्रित हानि | ₹1,80,324 |
गुणक (Multiplier) 18 | ₹32,45,832 |
साथी भाव हानि (2 लोग) | ₹96,800 |
संपत्ति हानि | ₹18,150 |
अंत्येष्टि व्यय | ₹18,150 |
कुल मुआवजा | ₹33,78,930 |
अंतिम आदेश:
- बीमा कंपनी की अपील खारिज।
- ₹33,78,930 मुआवजा 9% वार्षिक ब्याज सहित एक माह में जमा करने का आदेश।
- मृतक की पत्नी को ₹25 लाख और मां को ₹8.78 लाख की राशि निर्धारित की गई।
- संपूर्ण खर्च का वहन बीमा कंपनी को करने का निर्देश।
