दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) को हरियाणा और दिल्ली के शाहदरा स्थित अपनी संपत्तियों को किसी भी रूप में हस्तांतरित करने या किसी तीसरे पक्ष के अधिकार बनाने से रोक दिया है। यह आदेश शिक्षकों के बकाया भुगतान को लेकर चल रही अवमानना कार्यवाही के तहत दिया गया है।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ ने DSGMC और गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल (GHPS) सोसाइटी से यह लिखित आश्वासन भी मांगा कि वे संपत्तियों को पट्टे, किराए या लाइसेंस के माध्यम से इस प्रकार उपयोग नहीं करेंगे जिससे उनके स्वामित्व या कब्जे पर कोई प्रभाव पड़े।
कोर्ट का यह हस्तक्षेप DSGMC द्वारा GHPS स्कूलों के शिक्षकों को छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बकाया, भत्ते और सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान न करने की पृष्ठभूमि में आया है। इससे पहले कोर्ट ने कमेटी को अपने पूर्व आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने का दोषी ठहराया था।

2 मई को दिए आदेश में कोर्ट ने निर्देश दिया, “DSGMC और GHPS (ND) सोसाइटी के सचिवों द्वारा हलफनामा दायर किया जाएगा कि इस भूमि पर किसी तीसरे पक्ष का कोई अधिकार नहीं बनाया जाएगा; कोई हस्तांतरण नहीं होगा; और इसे किसी भी प्रकार से किराए, पट्टे या लाइसेंस पर नहीं दिया जाएगा जिससे संपत्ति के स्वामित्व या कब्जे में कोई बाधा उत्पन्न हो।”
न्यायमूर्ति दयाल ने आगे कहा कि लिखित आश्वासन के बावजूद, हरियाणा के बिगड़ गांव की 292 एकड़ और दिल्ली के शाहदरा की 15 एकड़ जमीन समेत इन संपत्तियों को कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी रूप में हस्तांतरित या गिरवी नहीं रखा जाएगा।
कोर्ट ने इन उच्च मूल्य की संपत्तियों की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, यह कहते हुए कि ये संपत्तियां लगभग ₹400 करोड़ रुपये की बकाया राशि के भुगतान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने आदेश दिया कि एक कोर्ट द्वारा नियुक्त मूल्यांकनकर्ता इन दोनों भूखंडों और अन्य DSGMC संपत्तियों का मूल्यांकन करे, जिसकी रिपोर्ट 7 सितंबर तक प्रस्तुत करनी होगी।