दिल्ली दंगा मामला: इशरत जहां को जमानत दिए जाने के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक आतंकवाद मामले में पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड तलब किया।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ ने निर्देश दिया, “ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (TCR) डिजिटल रूप में मंगाया जाए।” अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई के लिए निर्धारित की। यह याचिका वर्ष 2022 में दायर की गई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा 14 मार्च 2022 को इशरत जहां को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की गई है।

इशरत जहां उन कई लोगों में शामिल हैं जिन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दंगों की साजिश रचने के आरोप में अभियुक्त बनाया गया है। ये दंगे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे, जिनमें 53 लोगों की जान गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।

Video thumbnail

दिल्ली पुलिस ने जमानत आदेश को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने आरोप की गंभीरता को नजरअंदाज किया और इशरत जहां व अन्य के खिलाफ साजिश के सबूतों का समुचित मूल्यांकन नहीं किया। अपील में कहा गया, “ट्रायल कोर्ट यह भूल गया कि इन दंगों में कई लोगों की जान गई थी… इनका असर केवल कुछ व्यक्तियों तक सीमित नहीं था, बल्कि व्यापक स्तर पर जनता को प्रभावित किया।”

पुलिस ने इशरत जहां से जुड़े कथित “विघटनकारी चक्का-जाम” प्रदर्शन को आतंकवादी कृत्य बताया और कहा कि इसका उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था को अस्थिर करना और व्यापक असंतोष फैलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना था।

READ ALSO  कानून की किताबें छापने वाले प्रकाशकों को अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए, कोई भी गलती अवमानना को आमंत्रित कर सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट

हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में पाया था कि इशरत जहां को साजिश से जोड़ने वाला कोई प्रथम दृष्टया साक्ष्य नहीं है। अदालत ने कहा था कि न तो उन्होंने चक्का-जाम की शुरुआत की, न किसी आपत्तिजनक व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थीं और न ही दंगों के समय उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मौजूद थीं। उनकी उपस्थिति केवल खुरेजी में एक प्रदर्शन स्थल तक सीमित थी, जो हिंसा के केंद्र से काफी दूर था। अदालत ने यह भी उल्लेख किया था कि न तो कॉल रिकॉर्ड, न सीसीटीवी फुटेज और न ही कथित साजिश संबंधी बैठकों में उनका नाम सामने आया।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ मालीवाल की याचिका खारिज की

इशरत जहां के अलावा उमर खालिद, खालिद सैफी, नताशा नरवाल, देवांगना कलीता, सफूरा जरगर, पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के कई सदस्य भी इस मामले में UAPA के तहत अभियुक्त हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles