सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा–स्नातकोत्तर (NEET-PG) 2025 को दो शिफ्टों में आयोजित करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBEMS) से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने सात चिकित्सा पेशेवरों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, “नोटिस जारी करें, एक सप्ताह में जवाब दाखिल करें।”
याचिकाकर्ताओं ने 16 अप्रैल को एनबीईएमएस द्वारा जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि नीट-पीजी परीक्षा 15 जून 2025 को दो शिफ्टों में आयोजित की जाएगी। याचिका में परीक्षा को एक ही शिफ्ट में आयोजित कराने और देशभर में परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान, पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षा का अवसर मिल सके।
याचिका में अधिवक्ता सुकृति भटनागर और अभिष्ठ हेला ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि परीक्षा को दो शिफ्टों में कराने से प्रश्न पत्रों के कठिनाई स्तर में अंतर हो सकता है, जिससे अंकों का सामान्यीकरण (normalization) प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रह जाती और यह उम्मीदवारों के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (न्यायपूर्ण प्रक्रिया का अधिकार) का उल्लंघन है।
याचिका में यह भी बताया गया कि नीट-पीजी 2024 भी दो शिफ्टों में आयोजित की गई थी और उस समय भी दूसरी शिफ्ट का प्रश्न पत्र आसान होने की शिकायतें सामने आई थीं। इससे यह आशंका पैदा होती है कि दो अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करना मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
“यह प्रक्रिया मेधावी छात्रों के मन में संदेह पैदा करती है और परीक्षा की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाती है,” याचिका में कहा गया।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि एनबीईएमएस को निर्देश दिया जाए कि परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद प्रश्न पत्र और उत्तर कुंजी (answer keys) सार्वजनिक रूप से अपनी वेबसाइट पर जारी करें ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत हो।