सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह स्पष्ट किया कि वह बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ दायर उस जनहित याचिका (PIL) को स्वीकार नहीं करेगा, जिसमें उनके कथित आपत्तिजनक बयानों को लेकर अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी से कहा कि अदालत याचिका को खारिज करेगी, लेकिन वह संक्षिप्त आदेश पारित करेगी जिसमें कुछ कारण भी दिए जाएंगे।
गोड्डा (झारखंड) से लोकसभा सांसद दुबे ने हाल ही में यह बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था कि “सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है” और “देश में जो गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन रही है, उसके लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।”

तिवारी ने अदालत से कहा, “संस्थान की गरिमा की रक्षा होनी चाहिए। यह इस तरह नहीं चल सकता।” उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने दुबे के बयान की निंदा की है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दुबे का बयान “अवमाननापूर्ण”, “घृणा फैलाने वाला” और “उकसाने वाला” है, जिससे देश की सर्वोच्च न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत अदालत से अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
इसके अतिरिक्त, याचिका में दावा किया गया कि यह बयान भारतीय न्याय संहिता (BNS) और अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत दंडनीय अपराध है।