हाथरस केस: निलंबित एसएचओ के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2020 के हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले से जुड़े एक महत्वपूर्ण निर्णय में निलंबित थाना प्रभारी (एसएचओ) दिनेश कुमार वर्मा द्वारा आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। अदालत का यह निर्णय इस संवेदनशील मामले के प्रबंधन में वर्मा द्वारा की गई ड्यूटी में लापरवाही और गंभीर चूक को रेखांकित करता है।

न्यायमूर्ति राज बीर सिंह की एकल पीठ ने वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने गाजियाबाद स्थित सीबीआई अदालत द्वारा जारी समन आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने वर्मा के आचरण की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल प्रक्रियात्मक उल्लंघन किए, बल्कि एक अत्यंत गंभीर अपराध से जुड़े मामले में आवश्यक संवेदनशीलता का भी अभाव दिखाया।

READ ALSO  पेंशन धारकों के लिए खुशखबरी, सरकार ने नियमों में किया बड़ा बदलाव

मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने वर्मा पर आईपीसी की धारा 166A(बी)(सी) और 167 के तहत आरोप लगाए हैं, जो कि पीड़िता की सूचना दर्ज न करने और जानबूझकर गलत दस्तावेज तैयार करने से संबंधित हैं।

Video thumbnail

सीबीआई की चार्जशीट में वर्मा के कई गंभीर कर्तव्य उल्लंघन उजागर किए गए हैं। इनमें प्रमुख रूप से यह आरोप है कि उन्होंने पीड़िता को पुलिस स्टेशन के भीतर मीडिया से बचाने की जिम्मेदारी निभाने में विफलता दिखाई, जिससे उसकी गरिमा को ठेस पहुंची। आरोप है कि उन्होंने स्वयं अपने मोबाइल फोन से पीड़िता की रिकॉर्डिंग की, लेकिन न तो उसका चिकित्सकीय बलात्कार परीक्षण करवाया और न ही उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए पुलिस वाहन की व्यवस्था की। इसके बजाय, पीड़िता के परिजनों को एक साझा ऑटो-रिक्शा की व्यवस्था करनी पड़ी, जबकि पुलिस वाहन उपलब्ध थे।

सीबीआई जांच में यह भी सामने आया कि वर्मा के निर्देश पर जनरल डायरी में झूठी प्रविष्टियां की गईं, जिनमें दर्शाया गया कि एक महिला कांस्टेबल ने पीड़िता की जांच की थी, जबकि वास्तविकता में ऐसी कोई जांच नहीं हुई थी। झूठी प्रविष्टियों में यह भी लिखा गया कि पीड़िता के शरीर पर कोई चोट नहीं थी, जबकि वर्मा ने उसके बयान के आधार पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की।

READ ALSO  Jagadguru Paramhans Moves Allahabad HC Seeks Entry In Taj Mahal with Bhagwa Vastra and a Dharmdand- HC Seeks Reply

अदालती कार्यवाही के दौरान वर्मा के वकील ने तर्क दिया कि वर्मा ने पुलिस स्टेशन की तनावपूर्ण स्थिति को बिना किसी अफरा-तफरी के संभाला और उनके कृत्य को केवल ‘मानवीय भूल’ बताया। लेकिन न्यायालय ने शिकायतकर्ता के बयान, गवाहों की गवाही, और सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य साक्ष्यों की समीक्षा कर यह पाया कि वर्मा के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्पष्ट रूप से बनता है।

हाईकोर्ट का यह फैसला कानून के प्रति जवाबदेही और पुलिस अधिकारियों द्वारा संवेदनशील मामलों में अपेक्षित व्यवहार की एक सख्त याद दिलाता है।

READ ALSO  केवल योग्यता नहीं, वास्तविक आमदनी मायने रखती है: दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्नी और बच्ची को अंतरिम भरण-पोषण देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles