एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की शैक्षणिक योग्यता को चुनौती देने वाली एक याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिका में मौर्य पर पेट्रोल पंप का लाइसेंस प्राप्त करने और चुनावी योग्यता के लिए फर्जी डिग्री के उपयोग का आरोप लगाया गया है।
यह मामला आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी द्वारा दायर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि मौर्य ने प्रयागराज स्थित हिंदी साहित्य सम्मेलन से डिग्री प्राप्त की थी, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा ‘फर्जी’ विश्वविद्यालय घोषित किया गया है। त्रिपाठी ने अपनी याचिका में मौर्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी मांग की है।
इससे पूर्व, हाईकोर्ट ने याचिका को निर्धारित समय सीमा के बाद दाखिल किए जाने के आधार पर खारिज कर दिया था। हालांकि, याचिकाकर्ता की सुप्रीम कोर्ट में अपील के बाद, शीर्ष अदालत ने देरी को condone करते हुए हाईकोर्ट को मामले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

मूल रूप से, निचली अदालत ने त्रिपाठी को हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करने के लिए एक माह का समय दिया था, लेकिन त्रिपाठी ने लगभग 300 दिन बाद हाईकोर्ट का रुख किया, जिसके कारण याचिका खारिज कर दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट इस मामले की मेरिट के आधार पर पुनः विचार करेगा।