केंद्र का सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन: 5 मई तक वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा, न ही वक्फ बोर्डों में नियुक्तियाँ होंगी


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार का यह आश्वासन रिकॉर्ड पर लिया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं की अगली सुनवाई तक किसी भी वक्फ संपत्ति को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नियुक्ति की जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पी.वी. संजय कुमार और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की तीन-न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाल ही में लागू वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। यह अधिनियम वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और विवादित वक्फ जमीनों की स्थिति में परिवर्तन के लिए राज्य सरकार को शक्ति प्रदान करता है।

सॉलिसिटर जनरल का बयान

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि अदालत द्वारा पूर्व में मान्यता प्राप्त किसी भी वक्फ संपत्ति को 5 मई 2025 को अगली सुनवाई तक डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संशोधित अधिनियम की धारा 9 और 14 के तहत किसी भी नई नियुक्ति की प्रक्रिया को इस अवधि के लिए रोका जाएगा।

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न्यायालय की टिप्पणियाँ और निर्देश

मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा,

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“सामान्यतः किसी अधिनियम पर रोक लगाना दुर्लभ होता है, लेकिन हमें आशंका है कि इस मामले में परिस्थितियाँ तेजी से बदल सकती हैं।”

इस पर मेहता ने जवाब दिया कि अधिनियम पर रोक लगाना “एक कठोर कदम” होगा और इससे बचा जाना चाहिए।

न्यायालय ने केंद्र को एक सप्ताह की मोहलत दी है ताकि वह संशोधित अधिनियम को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल कर सके। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की सुनवाई के दौरान अधिकतम पाँच याचिकाकर्ता ही बहस करेंगे और दोनों पक्षों को नोडल वकील नियुक्त करने के निर्देश दिए।

इसके अतिरिक्त, सॉलिसिटर जनरल की सलाह पर, न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले का शीर्षक अब “In Re: Waqf (Amendment) Act, 2025” होगा ताकि समान विषयों पर अनावश्यक कई याचिकाएं दाखिल न हों।

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पृष्ठभूमि

यह अधिनियम 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद लागू हुआ। अधिनियम के खिलाफ याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि वक्फ की स्थापना, प्रबंधन और प्रशासन इस्लाम धर्म का एक अभिन्न धार्मिक अभ्यास है और यह संविधान द्वारा संरक्षित है।

याचिकाओं में प्रमुख आपत्तियाँ निम्नलिखित हैं:

  • “वक्फ-बाय-यूज़र” श्रेणी की संपत्तियों को खत्म करना,
  • वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना,
  • विवादित वक्फ संपत्तियों की स्थिति बदलने की राज्य सरकार को शक्ति देना।
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जबकि केंद्र का पक्ष है कि यह संशोधन वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने हेतु किया गया है।

मुख्य निर्देश:

  • अगली सुनवाई (5 मई) तक कोई वक्फ संपत्ति डिनोटिफाई नहीं होगी।
  • इस अवधि में वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होगी।
  • केंद्र एक सप्ताह में जवाब दाखिल करेगा।
  • अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।

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